Friday, September 13, 2024
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तिरंगे के रंग में रंगा हिमाचल के सबसे लंबा हिमाचल के सबसे लंबा हरोली पुल

ऊना, ज्योति स्याल :- हिमाचल प्रदेश में स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त के दिन कई इमारतों को तिरंगे झंडे की रोशनी की तरह जगमग किया गया. ऊना में जहां सचिवालय की बिल्डिंग रोशनी से जगमगाई. वहीं, प्रदेश के सबसे लंबे पुल पर भी शानदार नजारा दिखा और यह तिरंगे झंडे वाली रोशनी में सराबोर नजर आया. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने भी इसका वीडियो शेयर किया है. दरअसल, ऊना जिले के हरोली में स्थित सोमभद्रा सेतु को रंगबिरंगी लाइटस से प्रशासन ने सजाया था.हरोली को ऊना के रामपुर से जोड़ते हुए सोमभद्रा नदी ( स्थानीय नाम-स्वां नदी) पर बना 33.58 करोड़ से 773.30 मीटर पुल है, जो कि हिमाचल प्रदेश का सबसे लंबा पुल माना जाता है. करीब 20 हजार की आबादी को इसका लाभ हो रहा है.हरोली की प्रधान रमन कुमारी कहती हैं कि इस पुल ने न केवल बरसात के मौसम में होने वाली कठिनाइयों से मुक्ति दिलाई है, बल्कि हरोली और ऊना के बीच आवागमन को सरल बनाने के साथ ही स्थानीय लोगों के जीवन में आशा और विकास का नया द्वार खोल दिया है. बकौल रमन, ‘यह पुल साबित करता है कि एक अद्भुत निर्माण कैसे समाज में स्थायी बदलाव ला सकता है.’ मुकेश अग्निहोत्री को जाता है श्रेय- प्रधान

हरोली की गोंदपुर जयचंद पंचायत के प्रधान अनूप अग्निहोत्री का कहना है कि यह पुल उपमुख्यमंत्री एवं हरोली के विधायक मुकेश अग्निहोत्री के विजन का सुफल है. यह पुल इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण है कि कैसे कोई निर्माण एक असाधारण उपलब्धि बन सकता है. यह पुल केवल एक संरचना भर नहीं है बल्कि यह हजारों दिलों को जोड़ने और उनके कष्टों को दूर करने का माध्यम भी बना है. हरोली के पंजावर के रहने वाले कांग्रेस के ऊना जिले के प्रधान रणजीत राणा बताते हैं कि यह पुल इस बात का गवाह है कि किसी लीडर की प्रगतिशील सोच कैसे एक साधारण पुल को विकास और विश्वास का आदर्श बना सकती है. मुकेश अग्निहोत्री ने साल 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह के हाथों इसका नींव पत्थर रखवाया था. पुल साल 2018 में जनता को समर्पित किया गया. 11 किमी का सफर कम हो गय रोड़ा गांव के संजीव कुमार बताते हैं कि सोमभद्रा सेतु के बनने से लोगों को हरोली से ऊना आने-जाने के लिए 11 किलोमीटर की अतिरिक्त यात्रा से छुटकारा मिला है. ऊना से हरोली की दूरी पहले करीब 16 किलोमीटर थी, जिसके लिए घालूवाल होकर जाना पड़ता था, इस पुल के बनने से यह दूरी कम होकर महज 7 किलोमीटर रह गई है. धर्मपुर की प्रधान सुभद्रा चौधरी कहती हैं कि चाहे किसानों को अपनी उपज मंडी तक पहुंचाने की सुविधा हो, नौकरीपेशा लोगों को अपने कार्यस्थल तक जाने की सहूलियत हो या छोटे व्यापारियों का सामान लाने-ले जाने की सुविधा हो, सोमभद्रा सेतु ने हर किसी के लिए एक नया रास्ता खोला है. दुलैहड़ गांव की महिला एससी विंग की ब्लॉक प्रधान सुनीता बग्गा ने बताया कि यह पुल अब लोगों के लिए पसंदीदा सेल्फी प्वाइंट बन गया है. इस पुल को बनाने में 33 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.क्या क्या है पुल में खास पुल को आधुनिक तकनीक और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ‘इंजीनीयरिंग मार्वल’ की तरह तैयार किया गया है. 773.30 मीटर स्पैन के इस पुल के दोनों ओर पैदल चलने वालों के लिए सुन्दर पथ बनाए गए हैं, जिससे लोग सैर के लिए यहां आते हैं. आधुनिक डिजाइन की सोलर लाइटें इसे और भी आकर्षक बनाती हैं. पुल के दोनों मुहानों पर जलशक्ति विभाग ने पेयजल की व्यवस्था की है, सुरक्षा के लिहाज से पुल पर पुलिस विभाग ने सीसीटीवी कैमरे भी लगाए हैं और यातायात नियमों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए स्क्रीन भी लगाई गई हैं। पुल पर लगे रोड़ रिफ्लेक्टर्स रात में सफर को सुगम बनाते हैं.

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