Sunday, December 22, 2024
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दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से बिधिपुर आश्रम में सप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम किया गया

पंजाब न्यूज़ :-

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से बिधिपुर आश्रम में सप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम किया गयाज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से बिधिपुर आश्रम में सप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम किया गया। इसमें इस कार्यक्रम में गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री राजवीर भारती जी ने आध्यात्मिक प्रवचन किए।साध्वी जी ने बताया कि मनुष्य जन्म ईश्वर की भक्ति के लिए मिला है।परंतु ईश्वर को हम स्वयं प्राप्त नहीं कर सकते।इसके लिए एक सतगुरु की नितांत आवश्यकता है।गुरु ही वह मध्यस्थ हैं,जो हमें ईश्वर से मिला सकते हैं। यह परमात्मा द्वारा निर्मित एक अटल नियम है।जिसे हम और आप चाह कर भी नहीं उलट सकते।यह नियम उतना ही अपरिवर्तनीय है,जितना कि सूरज का पूर्व से उदित होना और पश्चिम में अस्त होना। स्वयं रचयिता भी जब साकार रूप धारण कर इस संसार में आया,तो उसने इस नियम का अनुपालन किया। उदाहरणतः भगवान राम गुरु वशिष्ट जी की शरणागत हुए।

श्री कृष्ण ने ऋषि दुर्वासा जी से ज्ञान दीक्षा प्राप्त की। न केवल दीक्षा प्राप्त की,बल्कि उत्तम कोटि की गुरुभक्ति भी की। आज हम इन अवतारों को अपना इष्ट मानकर उनकी पूजा करते हैं।पर उनके आचरण से शिक्षा नहीं लेते।इन तीनों लोकों के नायकों ने गुरु का वरण करके समस्त मानव जाति को एक ही वृहद संदेश दिया कि बिना गुरु के मुक्ति संभव नहीं है। साध्वी जी ने आगे बताया कि जैसे एक मूर्तिकार अनगढ़ पत्थर में से भी एक सुंदर मूर्ति तराश देता है।ऐसी मूर्ति जो पूजनीय बन जाती है।समाज उसके समक्ष नतमस्तक हो उसकी पूजा करता है।यही कार्य गुरु का भी है।गुरु एक सर्वोत्कृष्ट मूर्तिकार है।उसे भी अपने अनगढ़ शिष्य में एक श्रेष्ठ मानव दिखाई पड़ता है।अतः उसे तराशने हेतु वह उन सभी दुर्गुणों को काटता है, छांटता,जो उसकी आकृति को भद्दा बनाए हुऐ है।जो उसे मानवीय स्तर से च्युत किए हुए हैं।गुरु अपने सधे हुए हाथों से एक ऐसे श्रेष्ठ मानव का निर्माण करता है,जो समस्त समाज के लिए एक आदर्श बन जाता है।

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