बंगाणा,जोगिंद्र देव आर्य:-संस्कृतभारती हिमाचलप्रदेश द्वारा द्वितीया राज्यस्तरीया शलाकापरीक्षा का आयोजन अत्यंत हर्षोल्लास के साथ ऊना स्थित श्रीसुन्दरनारायणगुरुकुल में हुआ। इस शलाकापरीक्षा में हिमाचल प्रदेश के आठ महाविद्यालयों से अनेक छात्रों ने अपनी प्रतिभागिता दर्ज करवाई। बता दें कि यह शलाकापरीक्षा अष्टाध्यायी, श्रीमद्भगवद्गीता, अमरकोष ,लघुसिद्धान्तकौमुदी, सूर्यसिद्धान्त इत्यादि पांच विषयों को लेकर सम्पन्न हुई।

इस कार्यक्रम में भागग्रहण करने वाले छात्रों ने उपरोक्त ग्रन्थों में अपनी प्रतिभा प्रदर्शित की। गौरतलब है कि संस्कृतभारती हि.प्र. द्वारा प्रत्येक वर्ष इस तरह की शलाकापरीक्षा का आयोजन किया आगे भी जाएगा जिसमें की प्रदत्त विषयानुसार विषय को छात्र प्रस्तुत कर सकते हैं तथा इस परीक्षा में अपनी प्रतिभागिता दर्ज करवा सकते हैं। इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के साथ साथ देश के विभिन्न राज्यों से अनेक विद्वानों ने शिरकत की। कार्यक्रम के समापनावसर पर अध्यक्ष के रूप में संस्कृतभारती हि.प्र.के प्रान्ताध्यक्ष डा. राजेश शर्मा, मुख्यातिथि के रूप में श्री वीरेंद्र कंवर एवं सारस्वत अतिथि के रूप में आचार्य रमेश शास्त्री पधारे। शलाकापरीक्षा के निर्णायकों के रूप में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के प्राध्यापकों की उपस्थिति रही। शलाकापरीक्षा के परिणाम बताते हुए की जानकारी देते हुए संयोजक डा. जयकृष्ण शर्मा बताया कि गीताकंठपाठपरीक्षा में कृति हिम्टा,कुशारिका, सुजल ने क्रमशः प्रथम द्वितीय, तृतीय पुरस्कार प्राप्त किया। ज्योतिषशलाकापरीण में हर्ष गौतम, अंकिता, ज्योति ने क्रमश: द्वितीय, तृतीय एवं सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया। इसी तरह अमरकोषकंठपाठ में अजय शर्मा, हिम्मत सिंह ,नेहा ठाकुर और साहिल ने द्वितीय, तृतीय सांत्वना एवं प्रोत्साहन पुरस्कार प्राप्त किया।

इसी के साथ अष्टाध्यायी में अनमोलदीपसिंह, अनामिका एवं ईशा ने क्रमश: तृतीय, सान्त्वना एवं प्रोत्साहन पुरस्कार प्राप्त किया। व्याकरणशलाका परीक्षा में अजलि, सपना शर्मा ने क्रमशः सान्त्वना एवं प्रोत्साहन प्राप्त किया। कार्यक्रम के अतं में मुख्यातिथि वीरेंद्र कंवर ने आए हुए छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि शास्त्रों के संरक्षण हेतु इस तरह के विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन संस्कृतभारती द्वारा किया जा रहा है यह अत्यंत हर्ष का विषय हैं। इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन द्वारा भावी पीढ़ी निश्चित तौर पर शास्त्रसंरक्षण हेतु प्रतिबद्ध होगी। मुख्यवक्ता के तौर पर पधारे श्री शिवशंकर मिश्र ने भी अपने विचार प्रकर करते हुए कहा कि वर्तमान में इस तरह के शास्त्रसम्बन्धित कार्यक्रम अत्यन्त प्रासंगिक है।