Sunday, September 15, 2024
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नगर निगम व नेताओं ने बनाया भारत का सबसे स्वच्छ शहर

ददी,सावस्तिक गोतम :- 10 साल में जनता, प्रशासन, नगर निगम व नेताओं ने बनाया भारत का सबसे स्वच्छ शहर
हिमाचल के पत्रकारों ने इंदौर शैक्षणिक यात्रा के दौरान जानी शहर की व्यवस्थाओं की कार्यप्रणाली
नेताओं व प्रशासकों की स्मृद्ध व दूरदर्शी सोच ने शहर को देश का सबसे तेजी से विकसित और स्वच्छ शहर बनाया


हिमाचल राज्य के औद्योगिक नगर बददी बरोटीवाला नालागढ़ से एक शैक्षणिक टुअर अगस्त माह में मध्य प्रदेश के इंदौर जिला में पहुंचा। मध्य प्रदेश राज्य अपनी कई विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां के नेताओं व प्रशासकों की स्मृद्ध व दूरदर्शी सोच ने इस शहर को देश का सबसे तेजी से विकसित और स्वच्छ शहर बनाया है। इंदौर की धरती पर पहुंचने के बाद कुछ संबंधियों ने हमारी मुलाकात इंदौर से सांसद शंकर लालवानी से फिक्स करवाई। वह दूसरी बार लगातार सांसद बने हैं वह 11 लाख 75 हजार मतों के अंतर से जीते हैं और देश में दूसरे सबसे अधिक मार्जिन से जीतने वाले नेता हैं। शहर के बीचोंबीच बने उनके सुंदर व आलीशान भवन में मुलाकात हुई। पहले उन्होंने हमारी बातों, सवालों और हमारे मकसद के बारे में गौर से सुना और उसके बाद इंदौर शहर के भविष्य व विकास यात्रा के बारे में बताया। जब तक शंकर लालवानी से वार्ता समाप्त होती उस समय के अंतराल में ही इंदौर शहर के मेयर पुष्यमित्र भार्गव से मुलाकात का समय फिक्स हुआ। उनसे मुलाकात के बीच इंतजार में इतना तो प्रतीत हो रहा था कि शहर में शक्ति का केंद्र महापौर का निवास स्थान ही है। रात का समय हो रहा था और यहां मिलने वाले प्रसंशकों की संख्या में कमी महसूस नहीं हो रही थी। आखिर हमारी मुलाकात हुई और शहर की विकास यात्रा को लेकर उन्होंने भी सुझाव साझा किए।

बिलासुपर के वरिष्ठ पत्रकार सुनील शर्मा वशिष्ट ने अपने अनुभव सांझे करते हुए कहा कि इंदौर शहर अब देश में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की तरह उभर रहा है। यहां का स्वच्छता मॉडल और सोच को पूरे देश में लागू कर दें तो व्यापक असर आएगा। इस समय हजारों करोड़ की परियोजनाएं इस शहर में निर्माणाधीन हैं, जो चंद वर्षों में धरातल पर उतर आएंगी। प्रधानमंत्री स्वच्छता मिशन में इंदौर को देश के सबसे स्वच्छ शहर का अवार्ड मिला है। शहर की स्वच्छता को लेकर सांसद शंकर लालवानी दावा करते हैं कि शहर की सडक़ पर अगर एक भी कचरे का टुकड़ा होगा तो केवल पर्यटक द्वारा फेंका गया होगा, हमारे शहर के 45 लाख लोगों की आबादी में से एक भी निवासी अब ऐसा नहीं कर सकता। सांसद व महापौर दोनों ने बताया कि किस तरह वह शहर के कचरे से निगम का 50 फीसदी खर्चा निकाल रहे हैं। वहीं लोगों से सफाई शुल्क की कलेक्शन से भी कई फीसदी खर्चा निकल रहा है। यहां 7 हजार सफाई कर्मी हैं। शहर में 85 वार्ड हैं। सारे कचरे को एकत्र किया जाता है और उसे प्लांट में प्रोसेस करने के बाद उससे सीएनजी तैयार की जाती है। सीएनजी को अंतरा कंपनी को बेचा जाता है। अंतरा कंपनी ने शहर में सीएनजी पंप में इसकी आपूर्ति शुरू कर दी है, जिससे अब शहर की सभी बसें, नए व्हीकल चलाए जा रहे हैं। इंदौर निगम ने कचरे से कमाई शुरू कर दी है। स्वच्छता की निगरानी के लिए थोड़े थोड़े क्षेत्र पर आब्जर्वर बिठाए गए हैं, इंस्पेक्टर लगाए गए हैं, जो नियमित लोगों व सफाई कर्मियों पर नजर रखते हैं। सांसद ने बताया कि हमने एक वर्ष तक खुले में कचरा फैंकने वाले लोगों पर जुर्माना लगाया। जुर्माने की रकम 500 से लेकर 20 हजार तक तय की गई थी। लोगों का विरोध भी सहना पड़ा, गालियां खाई, लेकिन अब आज शहर की स्वच्छता से शहरवासी भी खुश हैं। सांसद लालवानी ने बताया कि हमारे इस अभियान में सबसे अधिक सहयोग क्षेत्र की जनता का मिला और जब तक जनता सहयोगी नहीं होती, तब तक इस लड़ाई में सफलता मुश्किल है।
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हिमाचल प्रदेश यूनियन आफ जर्नलिस्टस के प्रदेशाध्यक्ष डा. रणेश राणा ने बताया कि इंदौर यात्रा में शहर की एक खास बात नजर आई जो देश में कहीं भी दिखाई नहीं पड़ी। यहां कई किलोमीटर तक सडक़ पर 3अलग अलग लेन बनाई गई हैं। मध्य में चलने वाली लेन पर केवल सरकारी बस ही चलाई जाती है। उसके दोनों तरफ आवाजाही के लिए चलने वाले सामान्य, जीप, टैक्सी, प्राइवेट, दोपहिया वाहन चलाए जाते हैं। यहां चलने वाली बसें कभी भी देरी से नहीं पहुंचती। बस कभी ट्रैफिक जाम में नहीं फसती। आम वाहन जाम में जरूर होते हैं, लेकिन इस बस के लिए वीआईपी ट्रैक बना है, जो जनता को गौरवान्वित महसूस करवाता है। इंदौर की इस बात ने सबसे अधिक चौंकाया, देश के बड़े शहर इस तरह की व्यवस्था अभी तक नहीं ला सके हैं।

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हमीरपुर के वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि शहर की ट्रैफिक व्यवस्था भले ही खराब है, लेकिन उसके लिए शहर की कुछ संस्थाओं ने प्रयास तेज कर दिए हैं। हमें भी एक दिन के लिए यहां उन संस्थाओं के साथ मिलकर उस अभियान का हिस्सा बनने का मौका मिला। वालंटियर युवाओं ने शहर के कई प्रमुख चौकों का जिम्मा लिया है। वह यहां पर ट्रैफिक की कमान संभालते हैं। हालांकि बस अपनी लेन पर बेरोकटोक चलती है, लेकिन निजी वाहनों के चालकों को भी सुविधा मिले, इसके लिए वह यहां लगातार ट्रैफिक नियमों की अनुपालना का संदेश देने में लगे हैं। लघु उद्योग इंडस्ट्रीज एसोसिएशन हिमाचल प्रदेश के चेयरमैन विचित्र सिंह पटियाल ने अपने अनुभव सांझे करते हुए कहा किउज्जैन महाकाल मंदिर इंदौर से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर है। सरपट दौड़ती सडक़ में पता ही नहीं चला कि कब हम मंदिर परिसर पहुंच गए। गेट से अंदर पहुंचते ही नजारा देखकर तन व मन दोनों में एक अलग ही अनुभूति का अहसास पाया। चारों तरफ भगवान की ऐसी कलाएं दिखी जिससे हमारे स्मृद्ध भारत व धर्म की छटा दिखाई पड़ रही थी। मंदिर प्रबंधन की व्यवस्था इतनी बेहतर थी कई गेट मौजूद थे और दर्शनों के लिए काफी अधिक भीड़ होने के बावजूद भी अधिक समय नहीं लगा। करीब 40 मिनट में हमें उज्जैन महाकाल के दर्शन नसीब हुए और फि हम शहर के अन्य मंदिरों बड़ा गणेश, काल भैरों, सिद्धवट मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, मंगल, सांदिपनी आश्रम (जहां श्रीकृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की थी) सहित अन्य कई मंदिरों में जाना हुआ। हर मंदिर का इतिहास, मान्यता व अनुभूति सचमुच यादगार व दिल को सुकून दे रही थी।



प्रेस क्लब बददी के चेयरमैन डा. किशोर ठाकुर ने बताया कि ओंकारेश्वर महादेव भ्रमण के लिए हम इंदौर से सुबह निकले। रास्ता करीब 80 किलोमीटर दूरी का था और रास्ते में पहाडय़िां, सुंदर वन और प्रकृति के पूरे नजारे देखने को मिले। यहां रास्ते में सांगवान के घने जंगल थे। नर्मदा नदी के नजदीक पहुंचते ही ओंकारेश्वर महादेव जी के प्रताप का अहसास होने लगा था। इस पावन धरती पर चरण पड़ते ही शरीर में उर्जा का प्रवाह था। सबसे पहले नर्मदा नदी में गोता लगाया और फिर ओंकारेश्वर महादेव जी के दर्शनों के लिए लंबी कतार में करीब तीन घंटों तक कतारबद्ध रहे। कतार में लगने का एक अलग अनुभव है, जहां भक्तों के जयकारों से मन बाग बाग हो उठता है। शरीर की एनर्जी कई गुणा बढ़ जाती है। ऐतिहासिक शिवलिंग के दर्शनों के बाद वापस यात्रा शुरू की तो रास्ते में इंदौर नगरी की एक रोमांचक साइट पातालपानी जल प्रताप का पता चला। रास्ता जाते समय थोड़ा खराब जरूर था, जिसमें थोड़ी थकान महसूस हुई, लेकिन पातालपानी के रोमांचक नजारों ने थकान को चुटिकयों में भुला दिया।
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नालागढ़ उपमंडल के पत्रकार जितेंद्र शर्मा ने अपने अनुभव संाझे करते हुए बताया कि इंदौर यात्रा के दौरान यदि आप छप्पन बाजार या शर्राफा बाजार की स्ट्रीट लाइफ में नहीं गए तो आपकी यह यात्रा अधूरी ही मानी जा सकती है। यहां हम यात्रा के अंतिम रात पहुंचे दिन में पहले छप्प्न बाजार की लाइफ का अहसास लिया और उसके बाद शाम होते होते हम पहुंच गए राजवाड़ा इमारत के पास। यहां बनी एतिहासिक इमारत इस शहर की पहचान भी है और यह काफी आकर्षक भी है। इस इमारत को सुंदर लाइटों से सुशज्जित बनाया गया है, जिसकी शोभा देखते ही बनती है। यहां कुछ समय बिताने के बाद हम सीधा शर्राफा मार्किट की नाइट लाइफ में पहुंच गए। यहां रात करीब एक दो बजे तक यह मार्किट आपको हर राज्य के प्रसिद्ध व्यंजन परोसती है। आपकी भूख खत्म हो जाएगी, लेकिन यहां पर मिलने वाली आइटम खत्म नहीं होंगी।

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