सिरमौर,जीडी शर्मा :-
प्राथमिक स्तर की खेलकूद प्रतियोगिताएं स्थगित होने से बच्चों और अध्यापकों तथा अभिभावकों में मायूसी छा गई है प्राथमिक स्तर की अंडर -12 खेलकूद प्रतियोगिताएं बच्चो के लिए किसी ओलंपिक से कम नहीं है खेलों के माध्यम से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है तथा बचपन से ही बच्चे खेल की बारीकियां को सीखते हैं और आगे जाकर अच्छे खिलाड़ी बनते हैं भारत का ओलंपिक में प्रदर्शन अच्छा नहीं है तो उसकी सबसे बड़ी वजह खेलों के प्रति सरकार और विभाग की उदासीनता है सरकारी विद्यालयों के बच्चों के लिए यह खेलकूद प्रतियोगिता खेलों के साथ- साथ एक्स्पोज़र विजिट संस्कृति के संरक्षण का बहुत बड़ा अच्छा मंच है सरकारी विद्यालयों में ज्यादातर गरीब घर के बच्चे पढ़ते हैं जिनको एक स्थान से दूसरे स्थान भ्रमण पर जाने के लिए कभी मौका नहीं मिलता है खेलकूद प्रतियोगिताओं के माध्यम से बच्चे एक खंड से दूसरे खंड तथा एक जिले से दूसरे जिले में जाकर अन्य बच्चों से मिलते हैं तथा बहुत सारी बातें एक दूसरे से सीखते हैं
आज के युग में नशे और फोन की लत युवाओं को बर्बाद कर रही है अगर बच्चों को इस लत से छुड़वाना है तो खेल ही एक माध्यम जिससे बच्चे इन बुरी आदतों से दूर रह सकते हैं खेलकूद की प्रतियोगिताएं बंद करवाना बच्चो के भविष्य के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ है सरकार और विभाग को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए पिछले 30 वर्षों से खेलकूद प्रतियोगिताएं लगातार सफलतापूर्वक आयोजित करवाई जा रही है और इसके बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं परंतु सरकार और विभाग ने अचानक ही इस वर्ष खेलकूद प्रतियोगिता ना करवाने का फैसला लिया है जिससे पूरे हिमाचल प्रदेश के बच्चों और अभिभावकों तथा अध्यापकों में रोष व्याप्त है सभी अभिभावकों ने माननीय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखुजी शिक्षा मंत्री श्री रोहित ठाकुर सिंह जी और खेल मंत्री श्री यादवेंद्र गोमा से मांग की है कि यह प्रतियोगिताएं पहले की भांति सुचारू रूप से जारी रहनी चाहिए