Saturday, October 12, 2024
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वर्तमान समस्याओं का हल है:-आर्य समाज 

शिमला,टीना ठाकुर:-वर्तमान समस्याओं का हल है-आर्य समाज ,सामाजिक समरसता के सूत्रधार स्वामी दयानंद सरस्वती – पं सुखपाल आर्य -आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद की 220वीं जयंती के अवसर पर आर्य समाज लोअर बाजार शिमला के 142वें वार्षिक उत्सव और आर्य वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला के वार्षिक समारोह के अवसर पर आयोजित भव्य शोभायात्रा को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध वैदिक विद्वान पंडित सुखलाल ने कहा कि आर्य समाज ने समाज सुधार के क्षेत्र में अनेक आंदोलनों को जन्म दिया।

 स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। यह चिंतन स्वामी दयानंद की देन है। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलना का सूत्रपात किया और उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते हुए लाला लाजपत राय, सरदार भगत सिंह, स्वामी श्रद्धानंद और अन्य आर्य जनों ने शहादतें दीं सुखपाल जी ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भी आर्य समाज का बहुत योगदान रहा है ।गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का पुनरुद्धार, डीएवी आंदोलन, तथा अन्य शिक्षण संस्थाओं का संचालन आर्य समाज की विशेष उपलब्धियां रही हैं।पंडित सुखपाल ने यह भी कहा कि वर्तमान में समाज में विसंगतियां, जातिवाद और अल्पसंख्यकों का संतुष्टीकरण तथा भारत विरोधी ताकतों का संघर्ष और अन्य सामाजिक तथा राष्ट्रीय चुनौतियां सामने आ रही हैं, उन चुनौतियों का समाधान वेदों की शिक्षाओं के अनुकूल किया जाना संभव है।

 वर्तमान में समाज में जो परस्पर विरोध की घटनाएं हो रही हैं उनके समाधान के लिए आर्य समाज की विचारधारा आज भी महत्वपूर्ण और प्रासंगिक है।इस अवसर पर शोभा यात्रा से पूर्व आर्य समाज के प्रांगण में झंडा फहराते हुए आर्य समाज के मंत्री श्री हृदयेश आर्य ने कहा कि आर्य समाज अपनी परंपरा को निभाते हुए शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहा है और यह परंपरा हमेशा कायम रहेगी।इस नगर कीर्तन में आर्य कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला और सनातन धर्म विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बढ चढ कर भाग लिया।आर्य समाज के वार्षिक उत्सव पर सामवेद पारायण महायज्ञ प्रारंभ वेद ही सनातन धर्म एवं संस्कृति का मूल शिक्षा एवं समाज सुधार में आर्य समाज की भूमिका आज भी प्रासंगिक : पं सुखपाल 

आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती इस वर्ष धूमधाम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाई जा रही है स्वामी दयानंद के जीवन काल में ही आज से लगभग 142 वर्ष पूर्व आर्य समाज लोअर बाजार शिमला की स्थापना की गई थी। आर्य समाज ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन,, हिंदी सत्याग्रह और शिक्षा तथा समाज सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां अर्जित की हैं। नारी जाति को सती प्रथा, बाल विवाह, अनमेल विवाह जैसी कुरीतियों तियों से बाहर निकाल कर स्वामी दयानंद ने ऐतिहासिक कार्य किया है। समाज के वंचित, शोषित, साधनहीन वर्ग को समानता का अधिकार दिलवाकर जातिविहीन समाज की कल्पना स्वामी दयानंद के सपनों के भारत में सर्वोपरि रही हैं। महिलाओं और समाज के निम्न वर्ग को वेदों को पढ़ने पढ़ाने का अधिकार देना उनका एक ऐतिहासिक निर्णय रहा है।

एक ईश्वर की उपासना, वेदों एवं भारतीय ज्ञान परंपरा तथा सत्य धर्म का प्रचार और सभी मनुष्यों की शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति आर्य समाज का प्रमुख उद्देश्य है।स्वामी दयानंद के चिंतन की इस परंपरा को कायम रखते हुए आर्य समाज शिमला के 142 वर्ष पूर्ण होने पर सामवेद पारायण महा यज्ञ का शुभारंभ किया गया है, जो 22 सितंबर को संपन्न होगा। आर्य समाज द्वारा उत्तर भारत में शिमला में कन्या पाठशाला खोलना, उस समय की एक ऐतिहासिक घटना रही है।इस कार्यक्रम के दौरान आर्य कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला के वार्षिक समारोह भी संपन्न 21 22 सितंबर को संपन्न हो रहा है।

 आर्य समाज द्वारा आयोजित महायज्ञ और वार्षिक उत्सव के अवसर पर आचार्य डॉ कर्म सिंह ने बताया कि स्वामी दयानंद ने जिस सामाजिक समरसता का स्वरूप सामने लाया उसमें किसी प्रकार के भेदभाव का कोई स्थान नहीं है। संस्कृत संस्कृति ,प्राचीन परंपराओं, गुरुकुल शिक्षा प्रणाली, वेदों का पढ़ना पढ़ाना, सभी की शारीरिक, मानसिक, सामाजिक उन्नति करना, वेदों के आधार पर धर्म एवं नैतिक मूल्यों की स्थापना तथा महिलाओं को शिक्षा और समानता का अधिकार प्रदान करना आर्य समाज का प्रमुख लक्ष्य रहा है।वर्तमान में भी असंख्य शिक्षण संस्थानों के माध्यम से आर्य समाज धर्म, संस्कृति, शिक्षा, समाज सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर रहा है। 

आचार्य डॉ. कर्म सिंह ने कहा कि वर्तमान में विभिन्न मत मतांतरों की कट्टरपंथी सोच को छोड़ते हुए वेदों की ओर लौटने की जरूरत है ताकि विश्व समुदाय वेदों की शिक्षाओं, नैतिकता, अध्यात्म और कर्म आधारित समाज व्यवस्था के मार्ग पर फिर से लौट सकें। इसी आधार पर भारत के विश्व गुरु होने की संभावनाएं प्रबल हो सकती हैं।

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