Tuesday, February 4, 2025
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श्रीसीतारामनामसंकीर्तन मानव जीवन का आधार है – डॉ. अभिषेक कुमार उपाध्याय

हरियाणा न्यूज,कठुआ:-सनातन संस्कृति में धर्म एवं नित्य प्रतिदिन शाश्वतरूप में चली आ रही परम्परा का विशेष महत्व एवं आवश्यकता आज भी है। आज से 76 वर्ष पूर्व में श्रीठाकुर जी महाराज की विशेष अनुकम्पा से श्री श्री 1008 साकेतवासी श्री मौनी जी महाराज को श्रीसीतारामनामसंकीर्तन एवं श्रीसीतारामविवाहोत्सव को अपनी जन्मभूमि रत्तीछपरा, रेवती, बलिया, उत्तर प्रदेश में करवाने हेतु एक सकारात्मक संकल्प आया। भगवत्कृपा से वर्तमान में भी दूल्हा सरकार की कृपा से वह आयोजन यथावत हो रहा है। यदि इस आयोजन पर आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक दृष्टि के साथ व्यवहारिक जीवन दृष्टि की बात करे तो बहुत ही सुखमय व आनन्दानुभूति होगी। श्री मौनी जी महाराज एक अवतारी महापुरुष के रूप में अपने जीवन के महत्वपूर्ण समय में से सनातन समाज में मानव जीवन के लिए मानवीय स्थिति से देवत्व तक ले जाने का जो अलौकिक मार्ग दिखाए उसका परिणाम इस कलिकाल में भी हमें दृश्य है। भले ही 39 वर्ष पहले महाराज जी का साकेतवास हो गया है लेकिन आज भी उनके द्वारा विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार सहित अन्य राज्यों में भी उनके अनुयायि शिष्यों द्वारा विशेष अवसर पर जो महाराज जी द्वारा तय तिथियां है उस पर श्रीसीतारामनामसंकीर्तन एवं श्रीसीतारामविवाहोत्सव का आयोजन हो रहा है। ऐसे तो मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जी का विवाह, विवाह पंचमी अर्थात अगहन पंचमी को देश भर में मनाया जाता है। लेकिन इस विषय पर महाराज जी का चिन्तन कुछ अलग है उनके अनुसार भगवान का विवाह नित्य होना चाहिए क्योंकि भगवान उत्सव के स्वामी हैं संस्कार में सबसे महत्वपूर्ण एवं बड़े आयाम में आयोजित होने वाला विवाह संस्कार ही है जिसमें मानव जीवन को दिशा मिलती है। चुकीं रामावतार में श्रीठाकुर जी सरकार का जीवन बहुत ही संघर्षमय रहा। अपने जीवन का लगभग सभी समय प्राणिमात्र के कल्याण के लिए ही बीत गए। ऐसे ही कुछ विशेष प्रसंगों को ध्यान करके महाराजश्री का प्रयास रहता था कि जहां भी श्रीसीतारामनामसंकीर्तन हो वहां श्रीसीतारामविवाहोत्सव का आयोजन भी होना चाहिए और होते भी थे।

इसका सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में चिन्तन करने पर एक बात समझ में आती है कि हमारे समाज में जब किसी परिवार में विवाह संस्कार होता है तब हमारे जानने वाले परिवारजन इक्कठा होते है और विवाह में होने वाले व्यय से सभी परेशान भी हो जाते है सभी कार्यक्रम का उद्देश्य आनन्द होता है लेकिन अतिथि सत्कार उनकी ठीक से व्यवस्था नहीं होगी तो क्या कहेंगे वे लोग इस विचार से आनन्द का त्याग और चिन्ता का आगमन हो जाता है। लेकिन इसके विपरीत जब भगवान के विवाह का आयोजन होता है तब सभी का तन, मन एवं भगवत कृपा से प्राप्त धन से सहयोग मिलता है और सभी खुलकर आनन्द लेते है। सामाजिक सरोकार का रमणीय उदाहरण है। भगवान के विवाह में यजमान बनने वाले श्रद्धालु भक्तजन अपने जीवन को धन्य मानते है कि उन्हें अपने बच्चों के विवाह में जजमान बनने अवसर तो बहुत बार मिल सकता है लेकिन भगवान के विवाह में यजमान बनने का जो सौभाग्य मिलता है यह बिना भगवान की कृपा के बिना सम्भव नहीं हो सकता।
इस त्रिदिवसीय महोत्सव के अवसर पर विविध गतिविधियां चलती है जिससे समाज अपनी प्राचीन परम्परा का आनन्द बोध करता है। यह पावन पवित्र उत्सव पौष माह के प्रथम शनिवार को श्रीसीतारामसंकीर्तन के साथ 24 घण्टे के लिए आरम्भ होता है पुनः अगले दिन रविवार को संकीर्तन की पूर्णाहुति आरती के साथ दोपहर में भगवान की बारात निकलती जो सामाजिक समरसता का ध्यान करवाते हुए सब पाठ्य भगवान की अनुभूति के साथ प्रत्येक घर के द्वार पर द्वारपूजा सम्पन्न करवाते हुए बारात विवाह मण्डप में प्रवेश करती है जहां सैकड़ों की संख्या में शुद्धालुओं की उपस्थिति में रात्रि में श्रीसीतारामविवाहोत्सव का आयोजन परम्परागत आचार्यों द्वारा सम्पन्न होने करवाया जाता है। इस अवसर पर महाराज श्री के सुपुत्री श्रीमति माया त्रिपाठी जी द्वारा विधि हरि हर नामक गीत गाया जाता था उनके नहीं रहने पर इस वर्ष महाराज जी की पौत्री मधुलता ने भजन सुनाया। उसके बाद पण्डित श्री अंजनी कुमार उपाध्याय जी भी श्रीठाकुर जी सरकार को बहुत ही मनोरम गीत मोहि लिहले सजनी हमरो मनवा इसे सुनाते है। तत्पश्चात महाराज जी के पौत्र एवं श्री श्री 1008 श्री मौनी बाबा चैरिटेबल ट्रस्ट न्यास के मुख्य न्यासी व जम्मू कश्मीर प्रान्त के गुरुकुल एवं मन्दिर योजना सेवा प्रमुख डॉ. अभिषेक कुमार उपाध्याय को भी तनी ताकी रघुनंदन जी हमारी ओरिया नामक गीत को सुनाने का अवसर मिलता है। उसके बाद क्रम से एक एक पद प्रसंग को गाते हुए विवाह सम्पन्न होता है। कोहबर में भगवान चारों दूल्हा सरकार को शयन हेतु भेजकर प्रातःकाल सोमवार को श्रीराम कलेवा का आयोजन होता है।
इस अवसर पर श्री श्री 1008 श्री मौनी बाबा चैरिटेबल ट्रस्ट न्यास के सदस्य द्वारा प्रकाशित प्रेरणा स्त्रोत विलक्षण सन्त मौनी बाबा की पुण्य कथा नामक ग्रन्थ के द्वितीय संस्करण किया जाता हैं लोकार्पण किया जो समाज के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी। उसइस कार्यक्रम में मुख्यरूप से श्री श्री 1008 श्री मौनी बाबा चैरिटेबल ट्रस्ट न्यास के सदस्यों की उपस्थिति में वार्षिक बैठक भी संपन्न हुआ। इसमें महाराज श्री के शिष्य एवं अनुयायियों सहित देश के विभिन्न भाग में रहने श्रद्धालु भक्तजन पधारे थे जो तन, मन एवं भगवत कृपा से प्राप्त धन से सहयोग अपने अपने स्तर का सहयोग किया।अंत में आयोजन समिति ने आए हुए सभी आगंतुक भक्तजनों का सम्मान के साथ धन्यवाद देते हुए बिदाई किया।श्रीसीतारामनाम संकीर्तन श्रीहनुमान लला की अध्यक्षता में हुआ जिसमें जजमान में श्रीमती प्रियंका पाण्डेय धर्मपत्नी श्री आलोक पाण्डेय, श्रीमती पूजा उपाध्याय धर्मपत्नी पंडित नीरज कुमार उपाध्याय, श्रीमती आरती त्रिपाठी धर्मपत्नी श्री अविनाश त्रिपाठी सहित अन्य भक्तजन भी इस भूमिका में रहे।


इस अवसर पर सन्त स्वामी विनय ब्रह्मचारी जी, गोलोकवासी सन्त श्री राम बालक जी महाराज के शिष्य श्री मौनी जी महाराज, श्रीकृपाल दास जी, पण्डित अवधकुमार उपाध्याय जी, श्री ददन पाण्डेय, श्री रविप्रकाश मिश्र, आचार्य प्रियाशु शास्त्री, पण्डित श्यामा जी, सौरभ जी, अनुग्रह जी, श्री विजय सिंह, श्री सोनू सिंह, श्री गिरिधर जी, श्री सत्येन्द्र जी, श्री मुकेश सिंह जी, राकेश सिंह, डॉ. सत्यप्रिय सिंह सेंगर, श्रीमती आशा जी दुबई, श्रीमती अंजू जी जम्मू कश्मीर, पल्लवी जी बिहार सहित अन्य गणमान्य लोगों का विशेष योगदान प्राप्त हुआ। सभी पर ठाकुर जी की कृपा बनी रहे इसी आशा से सीय राममय सब जग जानी, करहूं प्रणाम जोर जुग पानी इसी प्रेरणा से महाराज जी का आभार जिन्हों ने ऐसे अवसरों के साथ भगवत मार्ग की ओर हम सभी को जोड़ दिया।

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