शिमला,टीना ठाकुर:-महिलाओं की स्थिति सुधारने में आर्य समाज का प्रमुख योगदान समाज सुधार के क्षेत्र में आर्य समाज का अहम योगदानहिमाचल प्रदेश में शिक्षा और समाज सुधार में आर्य समाज की भूमिका प्रमुख रही
आर्य समाज लोअर बाजार शिमला के 142 में वार्षिकोत्सव तथा आर्य कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला शिमला के वार्षिक पोस्ट पुरस्कार वितरण समारोह केअवसर पर बतौर मुख्य अतिथि पधारी पूर्व सांसद एवं वर्तमान अध्यक्ष कांग्रेस कमेटी हिमाचल प्रदेश। उन्होंने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि 19वीं शताब्दी में महिलाओं की सामाजिक स्थिति अत्यंत दयनीय थी।नारियों की स्थिति सुधारने में स्वामी दयानंद का प्रमुख योगदान रहा है।आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती ने समाज सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।पहाड़ी क्षेत्र में स्वतंत्रता आंदोलन में आर्य समाज की भूमिका सराहनीय रही है।समाज की उन्नति के लिए कन्याओं को अवसर देना समय की मांग है।समारोह में विद्यार्थियों को सम्मानित करते हुए प्रतिभा सिंह ने कहा कि स्वामी दयानंद ने सती प्रथा बाल विवाह, अनमेल विवाह का विरोध करते हुए विधवाओं के पुनर्विवाह, महिलाओं की शिक्षा पर जोर दिया।स्वामी दयानंद का यह मानना था कि महिलाओं की स्थिति के सुधार के बिना समाज की स्थिति को सुधारना संभव नहीं है।स्वामी दयानंद ने महिलाओं को पढ़ने पढ़ने का मौका दिया। पंडिता रमाबाई रानाडे को पढ़ाया भी। उन्होंने महिलाओं और समाज के सभी वर्गों को वेद पढ़ने और पढ़ाने का भी अधिकार प्रदान किया। जिसके द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में अद्भुत क्रांति हुई।
आर्य समाज शिमला के माध्यम से हिमाचल प्रदेश में भी विभिन्न आर्य संस्थाओं , शिक्षण संस्थानों, डीएवी स्कूलों और अन्य समाज सुधार की गतिविधियों का संचालन किया जाता रहा है।भारत के स्वाधीनता संग्राम में जहां राष्ट्रीय स्तर पर आर्य समाज का सर्वाधिक योगदान रहा, वहां हिमाचल प्रदेश की आर्य संस्थाओं ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसमें आर्य समाज शिमला का नाम सबसे प्रमुख है।महिलाओं को अवसर दिए जाने से समाज ने खूब तरक्की की है। अभी भी महिलाओं की स्थिति को और अधिक सुधारने तथा मजबूत बनाएं रखने के लिए उन्हें और अधिक अवसर दिए जाने की जरूरत है।प्रतिभा सिंह ने कहा कि आर्य समाज स्कूल सीमित संसाधनों के बाद भी पढ़ाई खेलकूद प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है जिसका श्रेय पाठशाला की प्रबंधन समिति और सुयोग्य एवं अनुभवी शिक्षक वर्ग को जाता है। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि वे कठिन मेहनत करके अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समर्पित भाव से काम करें।
इस अवसर पर खेल प्रतियोगिताओं में विशेष उपलब्धियां हासिल करने के लिए मुस्कान ठाकुर, अक्षिका जिंटा, जाह्नवी अंजलि और जैस्मिन ठाकुर को भी सम्मानित किया गया।विभिन्न परीक्षाओं में प्रथम द्वितीय और तृतीय स्थान पर रहने वाले छात्र-छात्राओं को भी पुरुष प्रमाण पत्र और स्मृति कॉन से नवाजा गया। वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर संस्था के प्रबंधक श्री हृदयेश आर्य ने कहा कि आर्य पाठशाला को इस क्षेत्र की सबसे पहली कन्या पाठशाला होने का गौरव प्राप्त है। इस पाठशाला के माध्यम से महिलाओं को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने का और खुद को साबित करने का भरपूर अवसर मिला है। कार्यक्रम के दौरान डॉ शंकर लाल वशिष्ठ ने स्वामी दयानंद और आर्य समाज की गतिविधियों के हिमाचल प्रदेश में प्रचार प्रसार के इतिहास पर जानकारी प्रदिन की तथा सुखपाल आर्य ने भजनों एवं मधुर संगीत के माध्यम से श्रोताओं और दर्शकों का मार्गदर्शन किया।समारोह के दौरान छात्र-छात्राओं ने चंबयाली, किन्नौरी और पहाड़ी नाटियां प्रस्तुत कीं जिनका दर्शकों और अभिभावकों ने खूब लुत्फ उठाया।विद्यार्थी द्वारा समारोह में समूह गान और नृत्य नाटिकाओं के माध्यम से भव्य प्रस्तुतियां दी गई। इस अवसर पर पाठशाला की ओर से प्रबंधक श्री हृदयेश आर्य को सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम के अंत में प्रबंधन समिति के मधुकर सरीन, अरुणेश आर्य और डॉ कर्म सिंह आर्य ने भी अपने वक्तव्य प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का संचालन मनोज शर्मा ने किया।