शिमला में स्थित राम मंदिर में साईं की मूर्ति को लेकर बवाल
शिमला,टीना ठाकुर:-हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में नया विवाद शुरू हो गया है। शिमला में स्थित राम मंदिर में साईं की मूर्ति को लेकर बवाल हो गया है। उत्तर दिशा के ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 1008 पहली बार वीरवार को शिमला पहुंचे थे।
एंकर,, शंकराचार्य देशभर में गो हत्या को रोकने और गो माता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने के लिए जागरूक कर रहे है। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में भी राम मंदिर में भी शंकराचार्य गो ध्वज की स्थापना के लिए पहुंचे थे इस दौरान उन्होंने शिमला में पत्रकारों से भी मुखातिब होना था लेकिन उन्होंने इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है और राममंदिर गए बिना ही वापिस लौट गए है ।
मन्दिर में साईं मूर्ति होने की वजह से नही गए मन्दिर,शंकराचार्य वीरवार सुबह सबसे पहले शिमला के प्राचीन मंदिर जाखू पहुंचे। यहां उन्होंने गो ध्वज की स्थापना की और इसी दौरान उन्हें राम मंदिर में साईं की प्रतिमा न हटाने की जानकारी मिली। जिसके बाद उनके स्टाप ने जाखू मंदिर से ही एक संदेश दिया है । जिसमे उन्होंने कहा है किं मन्दिर साईं की मूर्ति होने की वजह से शंकराचार्य राम मंदिर नहीं गए उन्होंने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है मूर्ति को हटाने के लिए पहले दिया था पत्र शंकराचार्य के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शैलेंद्र योगिराज सरकार ने जानकारी दी कि उन्होंने पहले ही राम मंदिर से साईं की मूर्ति हटाने को कहा था, लेकिन नहीं हटाई गई। ऐसे में शंकराचार्य ने जाखू मंदिर से ही गो ध्वज फहराया और वहीं से वापिस देहरादून लौट गए है। उनके मीडिया प्रभारी ने कहा कि हिंदू धर्म मे पहले ही 33 करोड़ देवी देवता है।ऐसे में किसी अन्य धर्म के व्यक्ति की मूर्ति (प्रतिमा) का कोई मतलब नही है। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य देशभर में जहां भी मन्दिर में साईं की मूर्ति वहां पूजा नही करते है इसलिए उन्होंने इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है। बताया जा रहा है कि शंकराचार्य बुधवार रात को शिमला पहुंचे थे और शिमला के न्यू शिमला में अपने किसी अनुयायी के घर रुके थे।
अयोध्या राम मंदिर में रहा है उनका महत्वपूर्ण योगदान ,भूमि का दिया था प्रमाण
बता दें अयोध्या राम मंदिर में भी शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने शास्त्र और वेदों के माध्यम से अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनने वाली भूमि को राम जन्म की भूमि होने का प्रमाण दिया था। गो माता को पशु की श्रेणी से हटाकर राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया है। 22 सितंबर को अयोध्या में राम मंदिर में गो ध्वज स्थापना और जयघोष के साथ यह यात्रा शुरू हुई है। इसमें उनके अनुसार 33 राज्यों की राजधानी में गो ध्वज फहराया जा रहा है। 25 हजार 600 किलोमीटर की यात्रा 27 अक्तूबर को वृंदावन बांके बिहारी मंदिर में गो ध्वज फहराने के साथ समाप्त होगी। राजधानी शिमला 33वां राज्य है जहां गो ध्वज फहराया जाएगा। इसी कड़ी में धर्म, संस्कृति और गो माता के सम्मान के महायज्ञ में आज सनातन धर्म के ध्वज को राम मंदिर के शिखर पर फहराने का कार्यक्रम था, जिसका शंकराचार्य ने बहिष्कार किया।