शिमला,टीना ठाकुर:-मानसून इस वर्ष भी देगया कई ज़ख्म हिमाचल प्रदेश में मानसून हर बार नुकसान कर के जाता है लेकिन पिछले वर्ष के मानसून ने तो सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे लेकिन इस वर्ष का मानसून नही कुछ कम नही रहा, पिछली बार की तुलना में इस वर्ष पूरे हिमाचल प्रदेश में वर्षा से 318 लोगों ने अपनी जान गंवाई है वही 1331 करोड़ की संपति का नुकसान हुआ है हिमाचल प्रदेश में आखिरी पड़ाव पर आ पहुंचे मानसून के गहरे जख्म हिमाचल प्रदेश को दिए हैं। अगर हिमाचल प्रदेश की अलग-अलग जगाहों की बात करे तो प्रदेश में घटनाओं की वजह से करीब ढाई माह की अवधि में 318 लोगों ने अलग-अलग हादसों की वजह से अपनी जान गंवाई है।
जबकि 31 लोग अभी भी लापता चल रहे हैं। ओर इनका अभी तक कहीं भी कोई सुराग नहीं मिल पाया है। इन हादसों की वजह से 495 लोग घायल भी हुए हैं। मानसून की वजह से अब तक 1331 करोड़ रुपए के नुकसान का आकलन किया गया है। प्रदेश भर से अलग-अलग विभागों के माध्यम से पहुंची रिपोर्ट के आधार पर नुकसान का यह आकलन तैयार किया गया है। तमाम विभाग अब इसे राज्य और केंद्र सरकार की मंजूरी के लिए प्रस्तावित कर रहे हैं। सभी विभागों को एस डी आर एफ और एन डी आर एफ में मदद मिलने की उम्मीद है। प्रदेश में हुए नुकसान की बात करें तो पी डब्ल्यु डी विभाग को सबसे ज्यादा 633 करोड़ 21 लाख रुपए का बड़ा नुकसान हुआ है जबकि जलशक्ति विभाग को 513 करोड़, बागवानी को 139 करोड़ और कृषि विभाग को एक करोड़ 32 लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है। मानसून के दौरान तेज बारिश और बादल फटने से जुड़ी घटनाओं की वजह से 199 मकान पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं। इनमें 81 पक्के मकान हैं जबकि 118 कच्चे मकानों को नुकसान पहुंचा है। मानसून के नुकसान की भरपाई को लेकर इस बार भी केंद्र सरकार से बड़ी उम्मीद है।
हालांकि आपदा का आकलन करने के लिए केंद्र से टीमें हिमाचल प्रदेश आएंगी और इसके आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट के माध्यम से ही नुकसान की भरपाई हिमाचल प्रदेश को होगी। वही ऊना की बात करे तो जिला में सामान्य बारिश ही रिकॉर्ड की गई है लेकिन फिर भी दो घटनाओं के ऐसे ज़ख्म मानसून ने दिए है जो भुलाए नही भूले जायेगे। जिस में जैजो में बाढ़ आने से बारातियों से भरी इनोवा मानसून के कारण बाढ़ का रूप लेने वाले पानी ने 11 लोगो की ज़िंदगी को लिनलिया था, वही बाथू बाथड़ी उद्योगिक क्षेत्र में तेज पानी ने 4 जिंदगियों को अपने आगोश में समा लिया था, वही उद्योगों के साथ साथ पेट्रोल पंप व रास्ते को बड़ा नुकसान हुआ था, उसी कड़ी में ऊना संतोषगढ़ मार्ग पर स्थित रामपुर पुल को भी भारी नुकसान हुआ था जिस कारण लगभग 20 दिन रास्ते को देयवर्ट करणा पड़ा था, उद्योग रास्ते व पुल तो फिर से तैयार हो गए लेकिन जाते जाते उन परिवारों को अकेला छोड़ गए, जिन्होंने इस मानसून में अपनों को खोया था।