Thursday, November 21, 2024
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अपसिद्धान्तनिरास ग्रन्थ श्रीस्वामि नारायण सम्प्रदाय के नवनीत है:-जगतत्गुरू डॉ. स्वामी श्रीराघवाचार्य जी महाराज

जम्मू ,नवीन पाल:-अपसिद्धान्तनिरास ग्रन्थ श्रीस्वामि नारायण सम्प्रदाय के नवनीत है- जगतत्गुरू डॉ. स्वामी श्रीराघवाचार्य जी महाराज।पावन पवित्र त्रिभुवन न्यारी सरयू के तट पर बसी मर्यादपुरुषोतश्रीराम की पुण्य जन्मभूमि श्रीअयोध्या नगरी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के अवसर पर अपसिद्धान्तनिरास एवं श्रीअयोध्या धाम में स्थापित श्रीरामानन्द सम्प्रदाय के विश्व प्रसिद्ध तपस्वी जी की छावनी के सिद्ध सन्त साकेतवासी श्री श्री 1008 श्रीरामगुलाम दास जी महाराज बलुईया बाबा के अन्तेवासी श्री मौनी जी महाराज के जीवनी पर आधारित प्रेरणा स्त्रोत विलक्षण सन्त मौनी बाबा की पुण्य कथा नामक ग्रन्थ के द्वितीय संस्करण

के पंद्रहवीं स्थान पर लोकार्पण पर अपना वक्तव्य देते हुए जगत्गुरू डॉ. स्वामी राघवाचार्य जी महाराज ने कहा कि आज जिन दो महत्वपूर्ण ग्रन्थों का विमोचन हुआ यह कोई सामान्य ग्रन्थ नहीं है एक में जहां साधूता, सरलता एवं भगवत्नाम संकीर्तन पर आधारित जीवन की तपस्चर्या है तो दूसरे में सनातनधर्म, संस्कृति एवं परम्परा पर कुठाराघात करने वाले अक्षर पुरुषोत्तम संस्था के लोगों की षडयंत्र से सम्बन्धित विचार को विद्वतापूर्ण ढंग से खण्डन किया गया पांडित्य की पराकाष्ठा है जहां उनके सिद्धान्त पंगु हो गए है। आज विद्वानों एवं सन्तों के मौन हो जाने के कारण कोई भी व्यक्ति इस प्रकार का दुस्साहस कर ले रहा है जैसा कि भद्रेश दास जी अपने ग्रन्थ ब्रह्मसूत्र पर श्रीस्वामिनारायणभाष्य एवं श्रीस्वामीनारायण सुधासिन्धु नामक ग्रन्थ लिखकर किया। यह समस्त विद्वत समाज के लिए एक प्रश्न ही है। भद्रेश दास ने अपने ग्रन्थ में जो दो ब्रह्म को प्रतिस्थापित करने का प्रयास किया है यह उनकी मूर्खतापूर्ण बुद्धि की पराकाष्ठा ही है। इसी में नारायण भगवानश्रीराम एवं श्रीकृष्ण के अवतारों को जो हुआ है वे प्रमुख स्वामी के दास के रूप में है और ऐसा उनके द्वारा स्थापित मंदिरों में

देखा जा रहा है। एक तरफ वे व्यवहार में अपने को सनातनधर्म से जोड़ते हुए देखे जा रहे तो दूसरी ओर वे अपने ग्रन्थ में पाखण्ड एवं सनातनधर्म से सम्बन्धित विचारों से दूषित व्यवहार लिख रहे है। उनके द्वारा लिखित भाष्य को देशभर में विद्वानों ने अपनी लेखनी से खण्डन किया जिसे पीतांबरा पत्रिका में प्रकाशित किया गया और पुनः उन सभी लेखों को सनातन धर्म के प्रमुख आचार्यों में शंकराचार्य द्वय एवं जगत्गुरू आचार्यों की संतुति एवं सहमति के साथ अपसिद्धान्तनिरास नामक ग्रन्थ को प्रकाशित किया है। इसके प्रधान सम्पादक श्रीमद्जगत्गुरू रामानुजाचार्य डॉ. स्वामिश्री विद्याभास्कर जी महाराज, सम्पादक मण्डल में श्रीमद्जगत्गुरू रामानुजाचार्य डॉ. स्वामी श्रीराघवाचार्य जी महाराज, श्रीमद्जगत्गुरू रामानुजाचार्य डॉ. स्वामी श्री विश्वकसेनाचार्य जी महाराज, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के पूर्व मीमांसा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. कमलाकांत त्रिपाठी जी, श्री श्री 1008 श्री मौनी बाबा चैरिटेबल ट्रस्ट न्यास के मुख्य न्यासी डॉ. अभिषेक कुमार उपाध्याय एवं डॉ. प्रदीप पांड्या है।


जिसका विमोचन श्री अयोध्या धाम में सरयू के पावन तट पर श्री राम कथा पार्क में साधक संतों एवं विशिष्ट विद्वानों के सानिध्य में हुआ। इसमें मुख्य रूप से श्री अयोध्या धाम के मेयर साहब अपने समस्त परिवारजनों के साथ विशेष रूप से उपस्थित रहें।

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