Thursday, November 21, 2024
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आर आर केट इंदौर में बल्क हाइड्रोजन बनाने का काम कर रहा परमाणु ऊर्जा विभाग

बद्दी,सावस्तिक गौतम:-

आर आर केट इंदौर में बल्क हाइड्रोजन बनाने का काम कर रहा परमाणु ऊर्जा विभाग,

सी.एन.जी. की तरह वाहनों में उपयोग हो सकेगा

हिमाचल के बीबीएन के प्रतिनिधियों ने भी जानकारी हासिल की

आज जिस तरह सी.एन.जी. और इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन है वैसे ही भविष्य में हाइड्रोजन वाहन भी बन सकेंगे। न्यूक्लियर रिएक्टर से निकल रही हीट एनर्जी से बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन बनाने के प्रोजेक्ट पर परमाणु ऊर्जा विभाग काम कर रहा है। वर्तमान में थर्मोकेमिकल प्रोसेस से एक से दो डॉलर प्रति किलोग्राम की दर से हाइड्रोजन बनाई जा रही है। अब इसका प्रोडक्शन बढ़ाने का लक्ष्य है। आर.आर. कैट.(राजा रमन्ना सेंटर ऑफ एडवांस टेक्नॉलोजो इंदौर) में आयोजित वर्कशॉप में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई के वैज्ञानिक पी.पी. केलकर ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा मीथेन को तोड़कर भी हाइड्रोजन बनती है, पर इस प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड निकलता है जो ग्लोबल वार्मिंग करता है। पानी को तोड़कर जो हाइड्रोजन बनती है वह ग्रीन हाइड्रोजन कहलाती है। यही प्रक्रिया किसी न्यूक्लियर रिएक्टर से निकली ऊर्जा की मदद से की जाए तो इसे पिंक हाइड्रोजन कहते हैं। इस हाइड्रोजन को हर जगह इस्तेमाल किया जा सकता है, जहां कोयला या तेल का उपयोग होता है। गौरतलब है कि इंदौर में यह वर्कशॉप, परमाणु ऊर्जा विभाग और नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट द्वारा आयोजित की गई थी। इस दौरान एन.यू.जे.आई. के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक मलिक और आर.आर. कैट के निदेशक उन्मेष मालशे भी मौजूद रहे। बॉक्स भारत है कई बड़े प्रोजेक्ट्स का हिस्सा: एटॉमिक एनर्जी कमिशन के सचिव सुनील गंजू ने दुनिया के बड़े साइंस प्रोजेक्ट में भारत की भागीदारी के बारे में बताया। इसमें बिग बैंग थ्योरी के लिए बना जिनेवा का लार्ज हैड्रोन कोलाइडर, एंटी प्रोटॉन और आयन रिसर्च के लिए बना जर्मनी का फेयर, ग्रेविटेशनल वेव्स का पता लगाने के लिए अमेरिका के नेतृत्व में बन रही लाईगो आदि प्रोजेक्ट शामिल है। इनमें से आर.आर. कैट. के नेतृत्व में हिंगोली के पास लाईगो लैब का निर्माण भी चल रहा है। गंजू ने कहा अब समय आ गया है कि भारत भी अपना खुद का एक ऐसा महंगा साइंस प्रोजेक्ट शुरू करें, जिसके लिए दूसरे देशों के वैज्ञानिक यहां आकर हमारे प्रोजेक्ट में सहयोग करें।

केलकर ने बताया कि अभी हाइड्रोजन का उत्पादन सिर्फ टेस्टिंग के स्तर पर किया जा रहा है। वहीं पिंक हाइड्रोजन के इस्तेमाल के लिए देश में निजी और सरकारी कंपनियों से भी चर्चा चल रही है।कार्यशाला में अशोक मलिक, महासचिव सुरेश शर्मा,सिल्वेरी,सी.पी.पाल डाक्टर तपस दास,आभा निगम, शैलजा,डॉ पी.ए हसन,डॉ मनोज सक्सेना, राकेश कुमार पाटीदार, वाई.के. भारद्वाज, सतीश ,दिनेश लाडे, अनुराग, विजय द्विवेदी, मनोज जैन, हिमाचल से डॉ बलबीर ठाकुर,डॉ गिरधारी लाल कश्यप, गुरदयाल ठाकुर आदि करीब 22 राज्यों के 26 मीडिया कर्मी,और करीब एक दर्जन विज्ञानिको ने हिस्सा लिया।

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