Friday, November 22, 2024
Google search engine
Homebaddiगणपति उत्सव पर क्योरटेक प्रांगण में वियतनाम संगमरमर से निर्मित श्री गणेश...

गणपति उत्सव पर क्योरटेक प्रांगण में वियतनाम संगमरमर से निर्मित श्री गणेश जी की मूर्ती की प्राण प्रतिष्ठा

बद्दी ,सावस्तिक गौतम :-गणपति उत्सव पर क्योरटेक प्रांगण में वियतनाम संगमरमर से निर्मित श्री गणेश जी की मूर्ती प्राण प्रतिष्ठा आज शनिवार 7 सितंबर को प्रत्येक शुभ कार्य करने से पूर्व गणपति बप्पा को याद किया जाता है : सुमित सिंगला कढ़ी चावल का लंगर लगाया जायेगा

श्री गणपति चतुर्थी उत्सव पर क्योरटेक हाउस में गणेश बप्पा की वियतनाम के संगमरमर से बनी मूर्ति की मूर्ती प्राण प्रतिष्ठा शनिवार को सुबह होगी। इस अवसर पर सनातन धर्म की मर्यादायों के अनुरूप प्राण प्रतिष्ठा प्रसिद्ध शास्त्री पंडित संजय द्वारा पूजन के पश्चात की जाएगी।
इस अवसर पर क्योरटेक ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर सुमित सिंगला ने बताया कि श्री गणपति उत्सव भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी के सिद्धि विनायक स्वरूप की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन गणेश जी दोपहर में अवतरित हुए थे, इसलिए यह गणेश चतुर्थी विशेष फलदायी बताई जाती है। सनातन धर्म के त्योहारों में गणेश चतुर्थी एक मुख्य त्योंहार है जो भाद्रपद शुक्लपक्ष चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। वैसे तो प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी, गणेश जी के पूजन और उनके नाम का व्रत रखने का विशिष्ठ दिन है, लेकिन भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी के सिद्धि विनायक स्वरूप की पूजा की जाती है।


पूरे देश में यह त्योहार गणेशोत्सव के नाम से प्रसिद्ध है लोक भाषा में इस त्योहार को डण्डा चौथ भी कहा जाता है।
हिंदू धर्म में भगवान गणेश को विद्या-बुद्धि के प्रदाता, विघ्न-विनाशक, मंगलकारी, सिद्धिदायक, सुख-समृद्धि और यश-कीर्ति देने वाले देवता माना गया है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार ‘ॐ’ और स्वास्तिक को भी साक्षात गणेश जी का स्वरूप माना गया है। गणेश जी की जन्म कथा गणेश चतुर्थी की कथा के अनुसार,एक बार माता पार्वती ने स्न्नान के लिए जाने से पूर्व अपने शरीर के मैल से एक सुंदर बालक को उत्पन्न किया और उसे गणेश नाम दिया। पार्वतीजी ने उस बालक को आदेश दिया कि वह किसी को भी अंदर न आने दे, ऐसा कहकर पार्वती जी अंदर नहाने चली गई। जब भगवान शिव वहां आए , तो बालक ने उन्हें अंदर आने से रोका और बोले अन्दर मेरी माँ नहा रही है, आप अन्दर नहीं जा सकते। शिवजी ने गणेशजी को बहुत समझाया, कि पार्वती मेरी पत्नी है। पर गणेशजी नहीं माने तब शिवजी को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने गणेशजी की गर्दन अपने त्रिशूल से काट दी और अन्दर चले गये, जब पार्वतीजी ने शिवजी को अन्दर देखा तो बोली कि आप अन्दर कैसे आ गये। मैं तो बाहर गणेश को बिठाकर आई थी। तब शिवजी ने कहा कि मैंने उसको मार दिया। तब पार्वती जी रौद्र रूप धारण क्र लिया और कहा कि जब आप मेरे पुत्र को वापिस जीवित करेंगे तब ही मैं यहाँ से चलूंगी


शिवजी ने पार्वती जी को मनाने की बहुत कोशिश की पर पार्वती जी नहीं मानी। सारे देवता एकत्रित हो गए सभी ने पार्वतीजी को मनाया पर वे नहीं मानी। तब शिवजी ने विष्णु भगवान से कहा कि किसी ऐसे बच्चे का सिर लेकर आये जिसकी माँ अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही हो। विष्णुजी ने तुरंत गरूड़ जी को आदेश दिया कि ऐसे बच्चे की खोज करके तुरंत उसकी गर्दन लाई जाये। गरूड़ जी के बहुत खोजने पर एक हथिनी ही ऐसी मिली जो कि अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही थी। गरूड़ जी ने तुरंत उस बच्चे का सिर लिया और शिवजी के पास आ गये। शिवजी ने वह सिर गणेश जी के लगाया और गणेश जी को जीवन दान दिया,साथ ही यह वरदान भी दिया कि आज से कही भी कोई भी पूजा होगी उसमें गणेशजी की पूजा सर्वप्रथम होगी। इसलिए हम कोई भी कार्य करते है तो उसमें हमें सबसे पहले गणेशजी की पूजा करनी चाहिए, अन्यथा पूजा सफल नहीं होती।


मान्यता है कि भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. एक अन्य कहानी के मुताबिक, एक बार भगवान शिव कहीं गए हुए थे और देवी पार्वती स्नान करने जा रही थीं. स्नानगृह की रक्षा के लिए उन्होंने अपने शरीर पर लगे चंदन से एक मूर्ति बनाई और उसमें प्राण डाल दिए. जब भगवान शिव वापस आए, तो पार्वती ने उन्हें बताया कि बालक ने उन्हें अंदर नहीं आने दिया. एक और कथा के मुताबिक, गुस्से में भगवान शिव ने गणेश जी का सर धड़ से अलग कर दिया था. इसके बाद माता पार्वती की नाराज़गी को दूर करने के लिए शिव जी ने गणेश जी को हाथी का मस्तक लगाकर जीवनदान दिया था. एक कहानी के मुताबिक, गणेश जी को लगा कि चंद्रमा उनका उपहास कर रहे हैं. क्रोध में आकर भगवान श्रीगणेश ने चंद्रमा को काले होने का श्राप दे दिया था .

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!