बददी, 10 मई swastik Gautam
चैरिटेबल ट्रस्ट के सदस्य व सामाजिक कार्यकर्ता ने उठाए सवाल
परशुराम जयंती पर हमें समाज को कुछ देना होता है छुपाना नहीं
प्रभु ने शरीर दिया परमार्थ करने के लिए न कि राजनीति करने के लिए
बददी, 10 मई swastik Gautam
जनता के पैसे से खरीदी गई एंबूलेंस से जनता को तो फायदा मिला नहीं लेकिन किसको फायदा मिला यह बात हर कोई जानना चाह रहा है। आज यहां जारी प्रेस से अनौपचारिक बयान में पार्षदों व अन्य सामाजिक सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के सदसयो ने कहा कि जब इस आपातकाल वाहन को नहीं चलाना था तो संगठन को सारा व्यौरा जनता को देना चाहिए कि यह हमसे चल नहीं रही तो इसको कैसे चलाएं। न कि दो तीन लोगों ने घर बैठकर फैसला लिया कि इसको किसी को दे दिया जाए। कहा कि वो टैंपल सामाजिक एनजीओ के अधिकृत सदस्य है लेकिन हैरानी की बात यह है कि नहीं पता कि यह एंम्बूलैंस है कहां और किसके पास खडी है। हाऊस में प्रस्ताव पारित करने के बाद ही इसको ठेके पर देना चाहिए था। कहा कि इस संस्था में राजनीति से जुडे कुछ लोग जनता के पैसे से एकत्रित कर खरीदी गई एंबूलेंस पर ही राजनीति कर रहे हैं जो कि शर्मनाक है। राजनीतिक लोग किसी का भला नहीं कर सकते सिर्फ बातें कर सकते हैं। अगर एंबुलेंस चैरिटेबल ट्रस्ट बीबीएन के नाम थी तो उसको अन्य कहीं एडजस्ट करने से पहले हाऊस से पूछना चाहिए था। कहा कि उन्होने भी इस एंबूलेंस के लिए 5100 रुपये दिए थे और कई दोस्तों से भीं चंदे में मदद करवाई थी लेकिन शहर का दुर्भाग्य है कि हमें यह दिन देखना पड़ रहा है।