टीना ठाकुर, शिमला:-गुच्छी और वन लहसुन के लिए 20 हजार, तो नागछतरी के लिए देने होंगे 16 हजार
जंगल में जड़ी-बूटियां खोजने और इनका कारोबार करने वालों को अब परमिट बनाने की दोगुनी फीस चुकानी होगी। वन विभाग ने इन्हें मिलने वाले परमिट की फीस को बढ़ाने का फैसला किया है। वन विभाग ने बढ़ी हुई दरों के साथ 92 प्रजातियों को सूची में शामिल किया है। वन विभाग प्रति क्विंटल के हिसाब से यह परमिट जारी करेगा। परमिट की सबसे बड़ी फीस गुच्छी और वन लहसुन की चुकानी होगी। दोनों की परमिट फीस को दस हजार रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 20 हजार रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। जबकि नागछतरी जड़ी-बूटी के लिए अब परमिट की फीस 16 हजार रुपए होगी।
पहले यह फीस आठ हजार रुपए थी। इसके साथ ही वतसनाभ या मोहरा की फीस 15 हजार, जबकि कड़वी पतिस के लिए 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से फीस चुकानी होगी।वन विभाग ने जिन प्रजातियों को शामिल किया गया है, उनमें हथपंजा 12 हजार, हरड़ एक हजार, भोजपत्र की फीस अब एक हजार, काला जीरा की चार हजार, सिंघु जीरा दो हजार, तेज पत्र एक हजार, आंबला 300 रुपए, सोमलता 400 रुपए, बिच्छु बूटी 300 रुपए, जटामांसी दो हजार, नियोजा दो हजार, कैंथ 250 रुपए, दाड़ू (अनार) एक हजार और ब्रांस के फूल का लाइसेंस 300 रुपए क्विंटल के आधार पर बनेगा।
वन विभाग ने जड़ी-बूटियों की इस सूची में तालीस पत्र, मोहरा, कड़वी पतिस, मिठा पतिस, घोड़बाच, बंसा, डुंगटुली, बिलगिरि, कनोर, सतजलोड़ी, नीलकंठी, कोश कोन, छोरा, जंगली कुठ, रत्नजोत, सेसकी, शतावरी या सफेद मुसली, बेलाडोना और कशमल और बनफसा को भी शामिल किया है। बिना लाइसेंस के पंजीकृत जड़ी-बूटियों को जंगल से नहीं निकाला जा सकता है। वन विभाग के कर्मचारी जड़ी-बूटियों की देखरेख में नियमित रूप से गश्त करेंगे