Sunday, December 22, 2024
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दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से पाँच दिवसीय श्री देवी कथा का भव्य आयोजन किया गया

होशियारपुर/ दसूह,विशाल कोकरी:-स्थानीय बाबा शांति गिरी लंगर हॉल दसूहा.में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से पाँच दिवसीय श्री देवी कथा का भव्य आयोजन किया गया। जिसके प्रथम दिवस में श्री गुरु आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री भद्रा भारती जी ने देवी कथा को बहुत ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने प्रवचनों में कहा कि आदि शक्ति माँ कण-कण में निवास करती है। वह सर्वव्यापक रुप में विचरती है। माँ के भक्त नवरात्रों में उपवास रखकर माँ को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। नवरात्र वर्ष में दो बार आते हैं दोनों ही बार ऋतु – परिवर्तन का समय होता है। इन दिनों हमें विशेष खान-पान का ध्यान रखने की जरूरत होती है। दूसरा नवरात्रों के दिनों में देवी के तीन रूपों की उपासना करने की भी परम्परा है। ये तीन रूप है माँ दुर्गा, मां लक्ष्मी और माँ शारदा । देवी दुर्गा शक्ति का प्रतीक है, माँ लक्ष्मी धन का, माँ शारदा सर्वेक्तम विद्या का। इस पर्व को मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचालित है। माँ दुर्गा ने नौ दिनों में दुष्ट आसुरी शक्तियों से सग्रांम किया। दशम दिवस में राक्षसों को परास्त किया। महिषासुर का मर्दन कर विजप नाद उद्‌‌घोषित किया। कथा हम सभी जानते है परंतु इसका आध्यात्मिक कारण है।

महिषासुर हमारे मन में स्थित तामसिक प्रवृतियों का प्रतीक है। आलस्य, जड़ता, आविवेक, कामुकता, नृशंसता तमोगुण महिष के ही विभिन्न रुप है। जहाँ हमारे भीतर आसुरी प्रवृतियों का बोल-बाला है। वही इनका हनन कर सकते वाली माँ जगदम्बा भी अंतस में ही विद्यामान है। चेतना की जागृति किसी बाहरी विद्या या विधि द्वारा संभव नहीं। महापुरुषों के अनुसार केवल मात्र ब्रह्मज्ञान में ही चेतना को जागृत करने की सामर्थ्य है। अतः आवश्यक है कि हम एक तम तत्ववेता गुरु के सान्निध्य में पहुंचकर ब्रह्मज्ञान प्राप्त करें। यही महिषासुर मर्दिनी (चेतना) का मन के घरातल पर, प्रकटीकरण है। आएं हम इस बार नवरात्रों के इन आध्यात्मिक संदेशों की उंगली थामकर ब्रह्मज्ञान की ओर अग्रसर हो । कथा का समापन माँ की आरती से हुआ l इस अवसर पर विशेष रूप सेअरुण बाऊ जी गौशाला प्रधान, प्रवीण शर्मा जी सतपाल स्वीट्स, राजीव आनंद आरएसएस ,गुरमीत सिंह देशराज,एबी शुगर मिल के सभी सदस्य व भारी संख्या में श्रद्धालू मौजूद रहे lप्रभु पिपासुओं ने श्री देवी कथामृत के इस महान यज्ञ में पहुँचकर अपने जीवन को कृतार्थ किया।

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