होशियारपुर,विशाल कोकरी
दिव्य ज्योति जाग्रित संस्थान के सामाजिक प्रकल्प संतुलन के अंतर्गत गौतम नगर होशियारपुर में मातृ दिवस पर विशेष मातृशक्ति तुभ्य नमः कार्यक्रम का हुआ आयोजन गया जिसमें लगभग 400 से अधिक महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। इसी अवसर पर श्री आशुतोष महाराज जी की साध्वी शिष्य सुश्री मीमांसा भारती जी ने उपस्थित गणमान्य अतिथियों को संबोधन करते हुए कहा कि एक बच्चे के जीवन में माँ को पहली शिक्षिका माना जाता है। बच्चों की नियमित गतिविधियों पर नज़र रखने और हर संभव तरीके से उनके जीवन को संवारने में माताओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं। आज का यह कार्यक्रम मातृशक्ति तुभयं नमः उन्हीं माताओं को समर्पित है। संस्थान के लिंग समानता व महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम संतुलन का मानना है कि जननी के साथ प्रकृति माँ, माँ भारती और सबसे प्रमुख माँ ‘एक ब्रह्मनिष्ठ आध्यात्मिक गुरु’ (गुरु माँ) का योगदान हमारे जीवन में अतुलनीय हैं। ये सब माताएं हमारा पालन-पोषण व देखभाल करती है, प्रेम के साथ हमें बड़ा करती हैं और हमेशा हमारी भलाई के लिए समर्पित रहती हैं। साध्वी जी ने आगे संबोधन करते हुए कहा एक मां गर्भावस्था के समय जैसा सोचती, सुनती है वैसा ही प्रभाव उनके शिशु पर भी पड़ता है इसकी उदाहरण हमें भक्त प्रहलाद जी व शिवाजी मराठा के जीवन से मिलता है किस प्रकार से जीजाबाई जी ने गर्भावस्था में ही प्रभु की महिमा को सुना और उन्हें के संस्कारों के कारण शिवाजी मराठा में देशभक्ति की लगन लगी।नारी को अपने भीतर की सोई हुई आध्यात्मिक शक्ति को जागृत करना होगा जिसके लिए परम अवश्यकता है जीवन में ब्रहानिष्ठ गुरु की। गुरु के द्वारा प्राप्त ब्रह्मज्ञान के द्वारा ही प्रत्येक व्यक्ति अपने घट में उस ज्योति का साक्षात्कार करके अपनी सोई हुई आत्मिक शक्ति को जागृत करता है।
इसी अवसर पर माँ के महत्त्व और उनके प्रति कृतज्ञ भाव दर्शाने के लिए कार्यक्रम में विभिन्न रोचक गतिविधियां शामिल रही। माताओं द्वारा अपने बच्चों की उत्तम परवरिश से समाज के सामने कितने ही महान उदाहरण उभर कर आये। इस बीच प्रतिभागियों द्वारा एक दिलचस्प लघु नाटिका और नृत्य नाटिका का भी प्रदर्शन से माताओं के प्रति आभार व्यक्त किया गया l