Thursday, November 14, 2024
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नशे से केवल एक व्यक्ति का ही नहीं बल्कि उसके परिवार व समाज का भी नुकसान होता है

जम्मू,नवीन पाल:-शाम और बृजेश ने नशामुक्ति रैली को दिखाई हरी झंडी। कंगरैल में नशा मुक्ति के लिए निकाली गई भव्य जागरुकता रैली, समाज को नशे से दूर रहने का दिया गया संदेश। संस्कृत माह के चलते हुई रैली। पौधारोपण और वितरण भी हुए। श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट संस्कृत माह के चलते गवर्मेंट हाई स्कूल कंगरैल से कंगरैल गांव में देववाणी संस्कृत को बढ़ावा और नशामुक्ति के लिए जागरुकता रैली निकाली और समाज को नशे से दूर रहने और संस्कृत के महत्त्व का संदेश दिया, इस अवसर पर पौधारोपण और वितरण भी हुए कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री शाम लाल शर्मा रहे। इस अवसर शाम लाल शर्मा ने कहा कि नशा के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए नशा मुक्ति रैली करवाना ट्रस्ट ने सराहनीय कार्य कर रहा है। शिक्षा ही नशे की बुराईयों को दुर कर सकती है और यदि नशा ही करना है तो शिक्षा का करो क्योंकि शिक्षा ही आगे बढ़ने का सशक्त मार्ग है। महंत रोहित शास्त्री का भारत में संस्कृत भाषा के संवर्धन व विकास में अमूल्य योगदान दे रहे है। हमे संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए, जो सभी भाषाओं का आधार है।

दिल बहादुर सिंह जामवाल ने कहा कि उन्होंने आगे कहा कि बच्चों को घर पर ही संस्कृत भाषा की शिक्षा देने का प्रयास किया जाना चाहिए और उसके बाद ही हम दूसरों को इस भाषा का उपयोग करने की सलाह दे सकते हैं।समाज सेवी राजन शर्मा ने कहा कि नशा किस प्रकार हमारे शरीर के साथ ही हमारे मानसिक,आर्थिक एवं पारिवारिक जीवन को खराब कर देता है और यदि कोई इसकी गिरफ्त में है तो उसे दृढ़ इच्छा शक्ति के द्वारा इससे बाहर लाने के लिये प्रयास करें। मुझे उम्मीद है कि समाज के अन्य हिस्सों से भी महंत रोहित शास्त्री द्वारा संस्कृत को बड़ावा देने के लिए प्रयास होंगे और संस्कृत एक बार फिर जम्मू कश्मीर की प्रचलित भाषा बनेगी। महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि देववाणी संस्कृत के बिना भारतीय संस्कृति एवं परम्परा का ज्ञान अधूरा है। संस्कृत को जैसा लिखा जाता है वैसा ही पढ़ा जाता है। संस्कृत भाषा के कई शब्द हिन्दी सहित अन्य कई भारतीय भाषाओं में भी इस्तेमाल किए जाते हैं। शब्दकोष संस्कृत से ही बढ़ता है। भाषा के माध्यम से ही मनुष्य सोचता है। इसलिए सोचने की भाषा को समृद्ध बनाने के लिए हमें संस्कृत को बढ़ावा देने वाले मार्ग पर चलना होगा।

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इस अवसर पर स्कूल के प्राचार्य राकेश वर्मा,कंगरैल के पूर्व सरपंच डॉ शल्लु शर्मा नरेश रैना, उत्तम चंद शर्मा,मास्टर विजय शर्मा, कैलाश शर्मा,ब्रह्मा नंद, सुभाष चंद्र, विनोद शर्मा, सन्नी जाट, मनीषा देवी, द्वारका नाथ, रमेश चंद्र, देर्शना देवी, रविंद्र शर्मा आदि ट्रस्ट के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

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