ब्यूरो रिपोर्ट:-पुणे में रहने वाले हिमाचलियों ने हिमाचल मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया
*पुणे में हिमाचली समागम 3: संस्कृति और एकता का उत्सव*आज “पुणे में हिमाचली समागम 3” का आयोजन सेडार ओक, पूना क्लब में हुआ, जिसमें पुणे में काम करने वाले और रहने वाले 45 से अधिक हिमाचली एकत्र हुए। यह आयोजन युवाओं और वरिष्ठ नागरिकों का एक खुशनुमा संगम था, जहां सभी ने अपनी हिमाचली भाषा में बातचीत करते हुए कहानियां साझा कीं, हंसी-मज़ाक किया, और एक-दूसरे के साथ एक गहरा संबंध महसूस किया।
आयोजन की संचालक श्रीमती पूजा सूद ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान, हमने अपने समुदाय की दृष्टि पर चर्चा की और एक नए शहर में एक-दूसरे की मदद करते हुए अपनी जड़ों से जुड़े रहने के महत्व को समझा। चर्चा के मुख्य बिंदु थे:
*नए हिमाचली लोगों की मदद*यह समूह उन हिमाचली लोगों की सहायता के लिए है, जो पहली बार पुणे आते हैं, ताकि उन्हें यहां बसने में सहायता और मार्गदर्शन मिल सके।
*आपातकालीन सहायता*आयोजन की संचालक श्रीमती पूजा सूद ने बताया कि चाहे वह चिकित्सा सहायता हो, नौकरी की जरूरत हो, या किसी भी प्रकार की आपात स्थिति, यह समूह अपने सदस्यों के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में काम करेगा।
*संस्कृति का संरक्षण*आयोजन की संचालक श्रीमती पूजा सूद ने बताया कि,हम अपने दिलों में हिमाचल की आत्मा को जीवित रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, साथ ही पुणे की संस्कृति और मूल्यों को अपनाने के लिए भी तैयार हैं। हिमाचल हमारी जन्मभूमि है, लेकिन पुणे हमारी कर्मभूमि है, और दोनों का हमें सम्मान करना चाहिए।
*समूह के मूल्यों का पालन*समुदाय की अखंडता बनाए रखने के लिए, हमने समूह के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। इनमें कुछ महत्वपूर्ण नियम शामिल हैं जैसे कि संदेशों को बिना सोचे-समझे अग्रेषित करने से बचना, घृणास्पद भाषा का प्रयोग न करना, राजनीतिक चर्चाओं को मंच से दूर रखना, और केवल हमारी संस्कृति से संबंधित फेसबुक या इंस्टाग्राम लिंक और वीडियो साझा करना।
*आगे की योजना एक मज़बूत समुदाय का निर्माण*समागम केवल एक उत्सव नहीं था, बल्कि पुणे में एक मजबूत हिमाचली समुदाय का निर्माण करने की दिशा में एक कदम था। हम और भी अधिक सदस्यों को अपने साथ जोड़ने की आकांक्षा रखते हैं और उन सभी को आमंत्रित करते हैं जो हमारी विरासत को साझा करते हैं। हमारी अगली बड़ी योजना अगले वर्ष लोहड़ी पर एक और समागम आयोजित करने की है, जहां हम एक बार फिर एकता और सांस्कृतिक उत्सव की इस परंपरा को आगे बढ़ाएंगे।हर समागम के साथ, हम अपनी दृष्टि को पूरा करने के और करीब आते हैं—अपनी जड़ों का सम्मान करते हुए, अपनी नई भूमि में आगे बढ़ते हुए