स्वारघाट,सुभाष चंदेल:-
प्रस्ताव से पहले बीडीसी अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष ने दिया त्यागपत्र
15 में से नौ वीडीसी सदस्य दोनों की कार्यशैली से थे नाराज
पंचायत समिति नयनादेवी में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के विरुद्ध लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को बैठक से पहले ही दोनों ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। इसके बाद पंचायत समिति में चल रही उठापटक थम गई है। भाजपा समर्थित पंचायत समिति सदस्यों की संख्या अधिक होने के मौजूदा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के विरुद्ध लगाया गया अविश्वास प्रस्ताव कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा है। क्योंकि कांग्रेस कई माह से दोनों – पदों पर परचम लहराने के प्रयास में जुटी थी।पंचागत समिति नयना देवी में 15 सदस्य हैं। चुनाव के दौरान भाजपा समर्थित नौ और कांग्रेस समर्थित जा सदस्य जीते थे। भाजपा समर्थित किरण कुमारी को पंचायत समिति अध्यक्ष व विजय कुमार की उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। अध्यक्ष पद के तालमगार और भी थे, जी नाराज चल रहे थे। बताया जा यहा है कि भाजपा समर्थित तीन सदस्य अध्यक्ष व उपत्यक्ष से नराज होकर कांग्रेस पंचायत समिति नयनादेवी के भाजपा समर्थित अधयक्ष उपाध्यक्ष के विरुद्ध हो गए थे अपनेबीडीसी सदस्यों के न आने से अविश्वास प्रस्ताव के लिए बुलाई बैठक करनी पड़ी स्थगित
बीडीओ बोले, उपायुक्त के निर्देशानुसार की जाएगी आगामी कार्रवाई खंड विकास अधिकारी नयनादेवी विनय शर्मा ने बताया कि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के त्यागपत्र को उपायुक्त बिलासपुर को भेज दिया है। उनहोनें कहा कि उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक के निर्देशानुसार आगामी कार्रवाई की जाएगी।
पंचायत समिति अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की कार्यशैली से नाराज होकर 13 सितंबर को खंड विकासअधिकारी स्वारघाट की अविश्वास का नोटिस दिया गया था। इस पर चर्चा के लिए 27 सितंबर को बैठक बुलाई गई भी लेकिन अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव आने से पहले ही अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। किसी भी पंचायत समिति सदस्य ने बैठक में भाग लिया।हालांकि जिला पंचायत अधिकारी तिलकराज व खंड विकास अधिकारी दिन में 11 से दोपहर एक बजे तक उनका इंतजार करते रहे। किसी भी पंचायत समिति सदस्य के निधारित समय तक न आने पर बैठक स्थगित कर दी। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि अध्यक्ष व उपाध्यक्ष ने किस कारण त्यागपत्र दिया है। संभावना जताई जा रही है कि दोनों ने सुनियोजित रणनीति के तहत त्यागपत्र दिए होंगे ताकि रूठों को मनाया जा सके।पंचायतीराज अधिनियम के तहत यदि अध्यक्ष व उपाध्यक्ष 20 दिन के भीतर त्यागपत्र वापस ले लेते हैं से विरोधियों को दोबारा से अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ेगा।