Friday, November 22, 2024
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बिहार से शुरू होकर कैसे झारखंड से जुड़ते गए तार

उत्तर प्रदेश :- शिक्षा मंत्रालय ने शनिवार, 22 जून को नीट-यूजी परीक्षा में कथित गड़बड़ी की जांच सीबीआई को सौंप दी और इस मामले में अब तक पांच राज्यों से 33 लोग गिरफ़्तार किए जा चुके हैं.

केंद्र सरकार ने नीट की परीक्षा का आयोजन करवाने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के निदेशक सुबोध कुमार सिंह को महानिदेशक के पद से भी हटा दिया है.

उनकी जगह प्रदीप सिंह खरौला को एनटीए के महानिदेशक पद का अतिरिक्त प्रभार दिया है.

संसद से सड़क तक, नीट यूजी-2024 कथित पेपर लीक मामला छाया हुआ है.पेपर लीक और फिर गिरफ़्तारियों को लेकर बिहार और झारखंड सबसे अधिक चर्चा में है और अब गुजरात भी.शुरुआती जांच बिहार पुलिस ने की और उसे इसमें सफलता भी मिली. जांच के तार झारखंड तक पहुंचे.

सीबीआई ने बुधवार 3 जुलाई को धनबाद से अमन सिंह नामक युवक को हिरासत में लिया है जिसे मुख्य साज़िशकर्ता संजीव मुखिया का प्रमुख सहयोगी बताया जा रहा है.

अब तक इस पूरे मामले में क्या-क्या हुआ, आइए इसे सिलसिलेवार ढंग से समझते हैं.बिहार की आर्थिक अपराध इकाई ने (ईओयू) ने 23 जून को जारी अपने आधिकारिक बयान में इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट जारी की.

पटना पुलिस के शास्त्री नगर पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी अमर कुमार की ओर से पांच मई को शाम 6.30 बजे कराई गई एफ़आईआर के मुताबिक, पांच मई को वो गश्त पर थे और उन्हें दोपहर 2.05 बजे नीट परीक्षा से संबंधित पेपर लीक गिरोह के बारे में सूचना मिली.

इसी दिन नीट की परीक्षा आयोजित की गई थी.

एफ़आईआर के मुताबिक़, सूचना मिलने पर उन्होंने झारखंड नंबर की एक संदिग्ध कार को रोका और तलाशी ली. इस दौरान गाड़ी में सिकंदर यादवेंदू, अखिलेश कुमार, बिट्टू कुमार मिले.

गाड़ी में कुछ छात्रों के एडमिट कार्ड की फोटोकॉपी, एप्पल फोन सहित कुछ अन्य फोन भी बरामद हुए.

अमर कुमार के अनुसार, ‘सिकंदर ने बताया कि उसने कुछ छात्रों के लिए पेपर सेट कराया है. इसमें पेपर सेटर संजीव सिंह, रॉकी, नीतीश एवं अमित आनंद के माध्यम से इसे अंजाम दिया जा रहा है.’

पुलिस ने पांच मई को ही पटना में कुल 13 लोगों को गिरफ़्तार किया जिसमें कथित परीक्षा लीक के संगठित गिरोह के सदस्य व अभ्यर्थी शामिल थे.

इसके बाद पटना के शास्त्री नगर थाने में एफ़आईआर दर्ज की गई.

मामले की गंभीरता को देखते हुए बिहार की आर्थिक अपराध इकाई ने इसकी जांच को अपने हाथ में लिया और 17 मई को एसआईटी का गठन किया गया.

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