बद्दी, स्वस्तिक गौतम:-मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता पर जागरूकता सत्र का आयोजन,ग्लेनमार्क फाउंडेशन और बाल विकास परियोजना नालागढ़ के सहयोग से राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, खेरा में कक्षा 9वीं से 12वीं की छात्राओं के लिए मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता पर जागरूकता सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में डॉ. अंजलि गोयल, सीडीपीओ एनआर नेगी, डॉक्टर रितु शिखा (एएमओ- आयुर्वेद), सीनियर असिस्टेंट नवीन , ब्लॉक कॉर्डिनेटर हीना शर्मा, सुपरवाइजर कौशल्या तोमर, उर्मिल धीमन, परामर्शदाता किरणा देवी, स्वास्थ्य कार्यकर्ता ज्योति धीमान, सुषमा धीमान और आगनवाड़ी वर्कर सहित 160 से अधिक किशोरियों ने भाग लिया।
सत्र का मुख्य उद्देश्य छात्राओं को मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता बनाए रखने, सही पोषण और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखने के महत्व पर जागरूक करना था। डॉ. अंजलि गोयल ने मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता और संक्रमण से बचाव के तरीकों पर जानकारी दी, जबकि किरणा देवी ने मानसिक और भावनात्मक तनाव से निपटने के उपायों पर चर्चा की। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने मासिक धर्म से जुड़ी आम समस्याओं और स्वच्छता के विभिन्न साधनों पर छात्राओं को जानकारी दी।इस कार्यक्रम के दौरान विद्यालय की 12वीं कक्षा के छात्रों द्वारा नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया, जिसमें मासिक धर्म और लड़कियों के स्वास्थ्य से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला गया। इस नाटक ने छात्राओं को इन विषयों पर खुलकर बात करने और सही जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।सत्र में चर्चा की गई कि मासिक धर्म के दौरान होने वाली शारीरिक और मानसिक समस्याएं छात्राओं की पढ़ाई पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। मासिक धर्म के समय होने वाले दर्द, असहजता और मानसिक तनाव के कारण छात्राओं का ध्यान पढ़ाई से भटक जाता है, जिससे उनकी शैक्षिक प्रदर्शन और उपस्थिति पर असर पड़ता है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिए कि उचित देखभाल और जागरूकता से इन समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकता है ताकि लड़कियां बिना किसी बाधा के अपनी शिक्षा जारी रख सकें।
सत्र के दौरान कुछ छात्राओं ने मासिक धर्म से संबंधित अपने सवाल भी पूछे, जिनका डॉ. अंजलि गोयल और किरणा देवी ने विस्तृत और व्यावहारिक जवाब देकर उनकी शंकाओं का समाधान किया।विद्यालय की प्रधानाचार्य मधु बाला ने आईआरजी संस्था, ग्लेनमार्क फाउंडेशन और बाल विकास परियोजना नालागढ़ का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के सत्र छात्राओं को न केवल मासिक धर्म के बारे में जागरूक करते हैं, बल्कि उनके शैक्षिक और मानसिक विकास में भी सहायक होते हैं। प्रधानाचार्य ने भविष्य में भी ऐसे सत्रों के आयोजन की आशा व्यक्त की।
बाल विकास परियोजना द्वारा लड़कियों को सैनिटरी नैपकिन भी वितरित किए गए।