जम्मू ,नवीन पाल:-
आज मूवमेंट कल्कि के बोर्ड सदस्यों और क्रांतिकारी समिति ने एक प्रेस वार्ता कर जम्मू में अवैध कब्जों और रोहिंग्या व बांग्लादेशी प्रवासियों की बढ़ती संख्या से उत्पन्न हो रही समस्याओं पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि जम्मू के लोगों के खिलाफ एक सोची-समझी साजिश रची जा रही है। जम्मू के लोग कश्मीर या अन्य राज्यों में कम ही जमीनें खरीदते हैं, लेकिन क्यों कश्मीर और अन्य क्षेत्रों के लोग जम्मू में आकर जमीन खरीद रहे हैं और अवैध रूप से सरकारी जमीनों पर कब्जे कर रहे हैं? विशेष रूप से तवी के किनारे की जमीनों पर अवैध कब्जे बढ़ते जा रहे हैं। सरकार कब तक इस पर आंखें मूंदे रहेगी?
मूवमेंट कल्कि का मानना है कि इन घटनाओं के पीछे एक गहरी साजिश की बू आ रही है। 2014 से पहले, जम्मू के लोगों को ऐसा महसूस हो रहा था कि उन्हें पलायन करने पर मजबूर होना पड़ेगा, क्योंकि हालात बेहद खराब हो चुके थे। लेकिन केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाकर एक नई उम्मीद दी और यह विश्वास दिलाया कि जम्मू के नागरिक अपनी जमीन और पहचान बनाए रख सकेंगे। लेकिन इसके बावजूद भी जमीनों पर कब्जे जारी हैं। क्या सरकार 1990 के हालात जम्मू में भी दोहराना चाहती है? क्या उन हालात का इंतजार किया जा रहा है, जब हालात बेकाबू हो जाएं?
मूवमेंट कल्कि का आह्वान है कि बांग्लादेशी, रोहिंग्या और अन्य अवैध कब्जेदारों को जल्द से जल्द हटाया जाए। अगर सरकार ने जल्द कोई कदम नहीं उठाया, तो मजबूरन जनता सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेगी, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।इससे पहले, मूवमेंट कल्कि के एक प्रतिनिधिमंडल ने उपराज्यपाल के सलाहकार श्री राजीव राय भटनागर को एक स्मरण पत्र सौंपा था, जिसमें इन अवैध प्रवासियों के कारण स्थानीय जनसंख्या, अपराध दर, सांस्कृतिक पहचान और सुरक्षा व्यवस्था पर पड़ रहे दुष्प्रभावों की विस्तार से जानकारी दी गई थी। प्रतिनिधिमंडल ने इन अवैध कब्जों को तत्काल हटाने और सख्त कार्रवाई करने की मांग की थी। पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में बाहरी प्रवासियों, विशेषकर रोहिंग्या और बांग्लादेशी समुदायों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप निम्नलिखित गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं:
- अवैध कब्जों में वृद्धि: सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे तेजी से बढ़ रहे हैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई के दौरान हिंसा और हथियारों का उपयोग बढ़ रहा है।
- चोरी और लूटपाट: इन प्रवासियों की उपस्थिति के कारण चोरी और लूटपाट की घटनाओं में असामान्य वृद्धि हुई है, जिससे स्थानीय नागरिक असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
- महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा: महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों में वृद्धि हो रही है, जो राज्य की सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती है।
- रोजगार और सांस्कृतिक पहचान: बाहरी प्रवासियों के आगमन से स्थानीय नागरिकों के रोजगार के अवसर घट रहे हैं और जम्मू-कश्मीर की सांस्कृतिक पहचान खतरे में है।
- अपराध और आतंक का बढ़ता प्रभाव: रोहिंग्या और बांग्लादेशी प्रवासी समुदायों में अपराध और क्रूरता की प्रवृत्ति बढ़ रही है, जिससे समाज और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है।
- श्री राजीव राय भटनागर ने प्रतिनिधिमंडल की चिंताओं को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया था कि प्रशासन जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा, सांस्कृतिक धरोहर और शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
- इस मौके पर मूवमेंट कल्कि के बोर्ड सदस्य और क्रांतिकारी समिति के अध्यक्ष संजीव दुबे, कोर कमेटी सदस्य ठाकुर अर्जुन सिंह, विक्रम महाजन, और केवाल शर्मा मौजूद रहे।