Saturday, December 28, 2024
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यहां आपके द्वारा दी गई जानकारी को थोड़ा सुधार कर प्रस्तुत किया गया है:

जोगिंद्र देव आर्य
(बंगाणा
)

उत्तरी भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल, बाबा पहाड़िया मंदिर पंजैन (गांव थानाखास) में चार दिवसीय धार्मिक समागम धूमधाम से संपन्न हुआ। इस अवसर पर बाबा पहाड़िया जी की सवारी भी निकाली गई, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने नतमस्तक होकर आशीर्वाद लिया। पंजाब के फनकार अश्विनी वर्मा के भजनों पर पंडाल झूम उठा और श्रद्धालु भक्ति में डूब गए।कार्यक्रम का आयोजन मंदिर के गद्दी नशीन बाबा अशोक कुमार जी द्वारा किया गया था। उन्होंने बताया कि 23 दिसंबर को बाबा पहाड़िया और माता ज्वाला जी को प्रसाद अर्पित करके निमंत्रण दिया गया। 24 दिसंबर को मंदिर परिसर में सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक बाबा पहाड़िया जी का कीर्तन दरबार सजाया गया। 25 दिसंबर को तनद पूजन और श्री सत्य नारायण कथा हुई, इसके बाद कीर्तन दरबार आयोजित किया गया। 26 दिसंबर को सुबह 9 बजे हवन यज्ञ हुआ, और 10 बजे से बाबा पहाड़िया जी का गुणगान करते हुए बड़ा कीर्तन दरबार सजाया गया, जिसमें अश्विनी वर्मा ने भजनों की प्रस्तुति दी। इस दौरान बाबा पहाड़िया जी की सवारी भी निकली, और श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद लिया।

बाबा अशोक ठाकुर ने बताया कि चार दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई थीं, जिसमें खाने और ठहरने की सुविधाएं प्रदान की गईं। बाबा पहाड़िया मंदिर पंजैन में हर साल तीन बड़े धार्मिक आयोजन होते हैं, जैसे जून माह में झंडा रस्म, रक्षा बंधन के दिन 9 दिवसीय छत्र पूजन, और 23 से 26 दिसंबर तक का धार्मिक समागम। इन आयोजनों में सैकड़ों श्रद्धालु नंगे पांव पैदल यात्रा कर बाबा का गुणगान करते हैं।23 दिसंबर से 26 दिसंबर तक मंदिर परिसर में रहा अटूट लंगरबाबा पहाड़िया मंदिर पंजैन के गद्दी नशीन अल्का ठाकुर ने बताया कि इस धार्मिक समागम के दौरान 23 से 26 दिसंबर तक अटूट लंगर की व्यवस्था की गई। हर आने वाले श्रद्धालु के लिए खाने-पीने की व्यवस्था की गई और ठहरने की भी विशेष व्यवस्था की गई थी। बाबा पहाड़िया मंदिर पंजैन में हर रविवार को अटूट लंगर और श्रद्धालुओं के लिए चायपान की विशेष व्यवस्था रहती है।

मंदिर परिसर में पत्थर शिला से निकला पीपल का पेड़बाबा पहाड़िया मंदिर पंजैन एक ऊंचे टीले पर स्थित है, और यह तीन मंजिला मंदिर अपनी सुंदरता में बेमिसाल है। मंदिर में बाबा पहाड़िया का अखंड धुना और एक पत्थर की शिला पर उगा पीपल का पेड़ है। मंदिर के दूसरी ओर पौराणिक स्थल है, जहां बाबा पहाड़िया और बाबा बालकनाथ ने धूना जलाया था। इस पत्थर की शिला पर मूर्तियां स्थापित की गई हैं। एक अलग मंदिर भी निर्माणाधीन है, जिसमें मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उन्हें स्थापित किया जाएगा। मंदिर के पास गाड़ी पार्किंग स्थल और लंगर हाल भी तैयार किया गया है, जहां हर रविवार को विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है।

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