कुल्लू ,कुलभूषण चब्बा:-विश्व चक्षु ने कुल्लू दशहरे पर मीडिया की बंदिशों पर उठाए सवाल,भाजपा सह-प्रभारी एवं पूर्व मीडिया कॉर्डिनेटर (मुख्यमंत्री) ने मीडिया की स्वतंत्रता को बताया खतरा,कुल्लू दशहरा हमेशा से ही अपने रंग-बिरंगे उत्सवों और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध रहा है। हिमाचल प्रदेश भाजपा के प्रदेश मीडिया सह-प्रभारी एवं पूर्व मीडिया कॉर्डिनेटर टू मुख्यमंत्री एडवोकेट विश्व चक्षु ने कहा कि जब इस साल, जब पूरा प्रदेश इस महापर्व की तैयारियों में जुटा था, तब एक नई चिंता सामने आई। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुल्लू में यात्रा के दौरान मीडिया कर्मियों के लिए कुछ विशेष बंदिशें लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं। विश्व चक्षु ने कहा कि इन तानाशाही भरे निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि मीडिया कर्मियों को मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू से उचित दूरी बनाए रखनी होगी, और उन्हें अपनी पहचान पत्र सही ढंग से पहनने के निर्देश दिए गए। हालांकि, इन दिशा-निर्देशों का मकसद यदि सुरक्षा हो, तो क्या यह मीडिया की स्वतंत्रता को प्रभावित नहीं करता? भाजपा मीडिया सह-प्रभारी ने कहा कि मीडिया को लोकतंत्र
का चौथा स्तंभ माना जाता है, लेकिन जब मीडिया को इस तरह की सीमाओं में बांध दिया जाता है, तो यह सोचने का विषय बन जाता है कि आम जनता की समस्याएं और उनके मुद्दे कैसे उठेंगे। जब लोग अपनी समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री के पास जाते हैं, तो क्या उन्हें भी इसी प्रकार की बाधाओं का सामना करना पड़ेगा? यह स्पष्ट है कि यदि मीडिया को इस तरह से नियंत्रित किया जाने लगा, तो इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा। इस दिशा-निर्देश में यह भी उल्लेख किया गया है कि मीडिया कर्मियों को उचित पहचान पत्र प्रदर्शित करना होगा, ताकि पुलिस कर्मी उनकी पहचान को सही ढंग से सत्यापित कर सकें। लेकिन क्या इस तरह की पहचान सत्यापन से मीडिया की स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं लगता? जब पत्रकार अपनी रिपोर्टिंग के लिए स्वतंत्रता से नहीं आ सकते, तो क्या यह उनकी पत्रकारिता की गुणवत्ता पर असर नहीं डालेगा? विश्व चक्षु ने कहा कि इस घटनाक्रम ने एक बार फिर से उस सवाल को जन्म दिया है
कि क्या सरकारें मीडिया को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही हैं? यदि ऐसे दिशा-निर्देश आम बात बन जाएं, तो क्या हम उस दिन को नहीं देखेंगे जब मीडिया को अपनी आवाज उठाने के लिए पहले अनुमति लेनी पड़ेगी? यह लोकतंत्र के लिए एक चिंताजनक संकेत है। इसके अतिरिक्त, यह भी देखने की आवश्यकता है कि इन दिशा-निर्देशों का वास्तविक उद्देश्य क्या है। क्या यह आम जनता की भलाई के लिए है, या सिर्फ मीडिया के काम को बाधित करने के लिए? जब मीडिया सही जानकारी जनता तक नहीं पहुंचा पाएगा, तो यह लोकतंत्र की बुनियाद को हिलाने जैसा होगा। समाज में मीडिया का योगदान हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। यह न केवल सूचनाओं को प्रसारित करता है, बल्कि आम जनता के मुद्दों को भी उठाता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि मीडिया को अपनी स्वतंत्रता बरकरार रखने का अधिकार हो, ताकि वह बिना किसी भय या दवाब के अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सके। पूर्व मुख्यमंत्री के मीडिया समन्वयक एडवोकेट विश्व चक्षु ने कहा कि कुल्लू दशहरे पर दिए गए दिशा-निर्देशों पर उठते सवाल सिर्फ मीडिया के लिए नहीं, बल्कि हमारे लोकतंत्र के लिए भी गंभीर चिंता का विषय हैं।