राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन द्वारा 290 वी राष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी विश्व मातृ दिवस के संदर्भ में श्रीमान पदमचंद गांधी जयपुर की अध्यक्षता में हुई । इस समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार श्री सुंदरलाल जोशी सूरज नागदा विशिष्ट अतिथि डॉक्टर अरुणा शुक्ला नांदेड़ डॉक्टर दक्षा जोशी अहमदाबाद डॉ मीना परिहार पटना एवं मुख्य वक्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बृज किशोर शर्मा विशिष्ट वक्ता डॉ शहेनाज शेख नांदेड़ डॉ जया सिंह रायपुर डॉ मुक्ता कौशिक रायपुर अनीता भाटी इन्दौर ज्योति जलज हरदा तथा सरस्वती वंदना डॉ अरुणा सराफ इंदौर स्वागत भाषण डॉक्टर प्रभु चौधरी राष्ट्रीय महासचिव उज्जैन ने दिया।। संगोष्ठी में अनेक साहित्यकार एवं कवयित्री ने उद्बोधन एवं कविता पाठ किया अतिथियों की उपस्थिति में संगोष्ठी संपन्न हुई। संगोष्ठी का संचालन श्वेता मिश्रा राष्ट्रीय सचिव ने एवं आभार सुधा शिक्षिका चंडीगढ़ राष्ट्रीय सचिव ने माना। श्रीमती सुधा शिक्षिका जीएमएसएसएस एस 32 C चंडीगढ़ जिन्होंने इस गोष्ठी में विशेष वक्ता के तौर पर भाग लिया ने अपनी माता जी श्रीमती सुदर्शन मेहता जी को प्रेरणादायक मां बताया जो एक अध्यापिका होते हुए भी अच्छी घरेलू महिला, हर कार्य में निपुण थी और समाज में महिलाओं के द्वारा किए जाने वाले कार्यों को किसी देश की संस्कृति और सभ्यता की उन्नति का हिस्सा मानती हैं। हम मां के ऋण को किसी भी तरह से उतार नहीं सकते। मां यह त्याग और तपस्या की मूरत है जिसे परमात्मा ने अपनी अनुपस्थिति में अपना सामर्थ्य परदान किया है जो किसी प्रकार से अपनी ममता से अपने बच्चों की हर समस्या का निदान करती है।मां इस ब्रह्माण्ड का अतुल्य हिस्सा है और इस सृष्टि की जननी भी। श्रीमती सुधा ने अपनी मां का आभार व्यक्त करते हुए एक कविता पठन भी किया राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के महासचिव श्री प्रभु चौधरी का धन्यवाद किया जिन्होंने मातृ दिवस समारोह आयोजित किया और उन्हें अपना वक्तव्य पेश करने का अवसर दिया।
विश्व मातृ दिवस आभासी संगोष्ठी में श्रीमति सुधा का विशिष्ट वक्तव्य
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