जम्मू/कठुआ,नवीन पाल :-शिक्षापत्री एवं वचनामृत ग्रन्थ जीवन के लिए उपयोगी है – प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल वैदिक दर्शन के सारतत्व से परि,पूर्ण है शिक्षापत्री एवं वचनामृत – प्रो. नागेंद्र पाण्डेय स्वामीनारायणदर्शन वैदिक धर्म एवं दर्शन का सहयोगी है- स्वामीमाधवप्रियदास गुजरात राज्य के वड़ताल नगर में भगवान श्रीस्वामिनारायण जी द्वारा स्थापित प्रसिद्ध वडतालधाम में दिनांक 16 से 18 सितंबर 2024 तक त्रिदिवसीय वैश्विक सम्मेलन आयोजित किया गया। काशी सहित दक्षिण भारत से आए प्रतिष्ठित विद्वानों ने सनातन धर्म एवं दर्शन परंपरा में शिक्षापत्री और वचनामृत की उपयोगिता बताते हुए मानव जीवन के लिए उपयोगी बताया।
इस अवसर पर श्रीलक्ष्मीनारायणदेव सनातन धर्म अनुप्रणित स्वामीनारायण संप्रदाय के वचनामृत और शिक्षापत्री ग्रंथ में पाए जाने वाले भारतीय जीवन मूल्यों के विषय को मूल में रखकर द्विशताब्दी महोत्सव के अवसर पर वडताल मंदिर द्वारा भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली सहित 18 केंद्रीय और राज्यस्तरीय विश्वविद्यालयों के संयुक्त तत्वावधान में 500 से अधिक सक्षम सारस्वत विद्वानों, शोधार्थियों एवं विद्वान संतों की उपस्थिति में इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजन सार्थक रहा।संगोष्ठी का उद्घाटन श्रीस्वामिनारायण जी के परम्परा के परम्परागत धर्मधुरंधर आचार्य श्रीराकेश प्रसाद जी महाराज की अध्यक्षता में में सम्पन्न हुई। मुख्य वक्ता के रूप में अपना बीज वक्तव्य देते हुए महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के निवर्तमान कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने श्रीस्वामि नारायण दर्शन को भारतीय दर्शन के जीवन मूल्यों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए बताया कि शिक्षापत्री एवं वचनामृत ग्रन्थ जीवन के लिए उपयोगी है। इस सम्प्रदाय के सभी संतों एवं भक्तों को इसके दार्शनिक एवं आध्यात्मिक भाग को ग्रहण करके भक्ति को पुष्ट करना होगा।
इस सत्र में विशेष रूप से ज्ञानजीवन स्वामी-कुंडल, अध्यक्षदेवप्रकाश स्वामी, रामप्रियजी-दर्शनम् विद्यालय, शुकदेव स्वामी नर आदि संत उपस्थित थे
इस समारोह में जम्मू से पधारें भारतीय दार्शनिक अनुसन्धान परिषद से अध्येतावृति प्राप्त संस्कृत एवं प्राच्यविद्या अध्ययन केन्द्र जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के शोधार्थी, जम्मू कश्मीर प्रान्त के मन्दिर एवं गुरुकुल योजना सेवा प्रमुख तथा श्री श्री 1008 श्री मौनी बाबा चैरिटेबल ट्रस्ट न्यास के मुख्य न्यासी डॉ. अभिषेक कुमार उपाध्याय ने विमोचन होने वाले तीनों महत्वपूर्ण ग्रंथों के विषय में प्रकाश डालते हुए श्रीस्वामीनारायण भाष्य एवं श्रीस्वामी नारायण सिद्धांत सुधा जो अक्षर पुरुषोत्तम संस्था के एक आचार्य द्वारा लिखित है उसके खंडन में पीतांबरा पत्रिका में प्रकाशित देशभर से दशाधिक विद्वानों के महत्वपूर्ण लेखों को संग्रह करके अपसिद्धान्तनिरास नामक ग्रन्थ एवं श्री मौनी जी महाराज के जीवनी पर आधारित प्रेरणा स्त्रोत विलक्षण सन्त मौनी बाबा की पुण्य कथा नामक ग्रन्थ के साथ ही संस्कृतविद्या विशेषांक का विमोचन विशिष्ट विद्वानों एवं संतों की गरिमामय उपस्थिति में करवाया।
गुजरात के विद्वान सारस्वत डॉ. बलवंत जानी के नेतृत्व एवं अध्यक्षता कर रहे शास्त्री स्वामी डॉ. माधवप्रियदास ने बताया कि स्वामीनारायणदर्शन वैदिक धर्म एवं दर्शन का सहयोगी है।गया। इसमें प्रो. सच्चिदानंद मिश्र जी ने भारतीय जीवन मूल्य पर प्रकाश डाला।इस अवसर पर काशिकेय सहित प्रमुख विद्वानों में प्रो. नागेन्द्र पाण्डेय, प्रो. रामपूजन पाण्डेय, प्रो. कमलाकांत त्रिपाठी, प्रो. पतंजलि मिश्र, प्रो. धनंजय पाण्डेय, प्रो. उपेन्द्र त्रिपाठी, प्रो. गोदावरीश मिश्र जी, प्रो. संपतकुमार, प्रो.आनंद मिश्र जी डॉ. अनिरुद्ध चतुर्वेदी, डॉ. दास सहित अन्य संतों और शोधार्थियों ने निर्धारित विषय पर अपना विचार व्यक्त किया।इस अवसर पर देश के 20 से अधिक कुलपतियों एवं संस्थान प्रमुखों ने महत्व भूमिका निभाई।अन्त में सभी विद्वानों एवं अतिथियों को धन्यवाद देते हुए बड़तालधाम के कोठारी स्वामी एवं मुख्य आयोजक डॉ. सन्तवल्लभदास जी ने बताया कि शिक्षापत्री और वचनामृत को सनातन धर्म अनुप्रणति ये दोनों ग्रंथ वैश्विक स्तर पर विभिन्न विषयों पर विशेष व्याख्यान ही नहीं, बल्कि जीवन के लिए उपयोगी अनुभवात्मक उपदेश से भी परिपूर्ण हैं। शिक्षापत्री के श्लोक में वर्तमान जीवन की समस्याओं का समाधान है। वचनामृत का प्रत्येक पृष्ठ सनातन धर्म की प्राचीन शिक्षाओं से भरा हुआ है।
इस सेमिनार में नीदरलैंड से प्रोफेसर अवनी चुग मौजूद रहीं और पेंसिलवेनिया से बाबू सुथार, कोलंबिया से योगी त्रिवेदी, लंदन से जगदीश दवे के निबंध पढ़े गए।निष्कर्ष रूप में श्री स्वामी नारायण जी द्वारा लिखित ग्रन्थ जीवन में सार्थक परिवर्तन के लिए नवनीत है।