कुरुक्षेत्र,अश्विनी वालिया:-शिक्षा, संस्कृति एवं राष्ट्र चेतना सम्मेलन में बोले वैदिक विद्वान् डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार
परिश्रम के बिना सम्भव नहीं उज्ज्वल भविष्य का निर्माण,गुरुकुल कुरुक्षेत्र के 112वें वार्षिक महोत्सव का शानदार आगाज,
आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा के प्रधान देशबन्धु आर्य रहे मुख्य अतिथि,गुरुकुल कुरुक्षेत्र के दो दिवसीय 112वें वार्षिक महोत्सव का आज शानदार आगाज हुआ। आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा के प्रधान देशबन्धु आर्य समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर पधारे जिन्होंने मुख्य वक्ता डॉ0 राजेन्द्र विद्यालंकार व गुरुकुल प्रबंधन समिति के अधिकारियों के साथ ध्वजारोहण कर महोत्सव का विविधत् शुभारम्भ किया। इस अवसर पर गुरुकुल के छात्रों द्वारा विज्ञान एवं कला प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसमें 50 से अधिक माडल्स छात्रों द्वारा प्रदर्शित किये गये। कार्यक्रम में गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग, निदेशक ब्रिगेडियर डॉ0 प्रवीण कुमार, प्राचार्य सूबे प्रताप, व्यवस्थापक रामनिवास आर्य, आर्य समाज यमुनानगर के प्रधान मोहित आर्य आदि भी मौजूद रहे। मंच संचालन गुरुकुल के मुख्य संरक्षक संजीव आर्य द्वारा किया गया।
सर्वप्रथम निदेशक डॉ0 प्रवीण कुमार ने गुरुकुल की उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए शिक्षा, संस्कृति और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच जो संबंध है उस पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमारे आसपास के वातावरण का हमारे ऊपर प्रभाव पड़ता है, गुरुकुल जैसा वातावरण सौभाग्य से प्राप्त होता है। यहां रहकर गुरुजनों के सान्निध्य में परिश्रम करके आप न केवल अपने जीवन का निर्माण कर सकते हैं बल्कि अच्छे नागरिक बनकर राष्ट्रीय सुरक्षा में भी सहायक साबित हो सकते हैं। उन्हांेने कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा आचार्य देवव्रत जी के मार्गदर्शन में गुरुकुल कुरुक्षेत्र आधुनिक शिक्षा के साथ बच्चों को संस्कारवान् बनाते हुए उन्हें राष्ट्र की सुरक्षा के लिए तैयार कर रहा है।समारोह को सम्बोधित करते हुए देशबन्धु आर्य ने कहा कि गुरुकुल से उनका पुराना नाता रहा है और वे आचार्य देवव्रत जी की कार्यशैली के हमेशा से कायल रहे हैं। आचार्य देवव्रत ने जिस तरह से गुरुकुल कुरुक्षेत्र का कायाकल्प किया है, ऐसा विरले ही कर सकते हैं। आज गुरुकुल कुरुक्षेत्र देश-दुनिया में अपनी अलग पहचान रखता है, यहां के बच्चे एनडीए, आईआईटी, नीट जैसी जटिल परीक्षाओं को पास कर सेना में उच्च अधिकारी, डाक्टर, इंजीनियर बन रहे हैं। आज केवल गुरुकुल कुरुक्षेत्र जैसे संस्थान ही युवाओं को शिक्षित करने की क्षमता रखते हैं क्योंकि यहां पर आचार्यश्री के मार्गदर्शन में पुरातन संस्कार और आधुनिक शिक्षा का ऐसा समन्वय स्थापित किया गया है जो कहीं अन्यत्र देखने को नहीं मिलता। उन्होंने समस्त छात्रों व अभिभावकों को गुरुकुल के 112वें वार्षिक महोत्सव की बधाई दी।
इसी कड़ी में शिक्षा, संस्कृति एवं राष्ट्र चेतना सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए वैदिक विद्वान् एवं राज्यपाल गुजरात के ओएसडी डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार ने कहा कि परिश्रम के बिना उज्ज्वल भविष्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती अतः छात्रों को कम्फर्ट जॉन से बाहर होकर कड़ा परिश्रम करना चाहिए तभी वे अपने जीवन के इच्छित लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते है। उन्होंने युवाओं को आगाह करते हुए कहा कि कामयाबी या सफलता वो नहीं कि आपके पास बहुत ज्यादा पैसा हो, बल्कि असली सफलता वह है कि आप किसी गरीब, असहाय का सहारा बन सके। उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति को महान् बनाने में तीन चीजें महत्त्वपूर्ण हैं-प्रतिभा, वातावरण और अभ्यास। प्रतिभा व्यक्ति को जन्मजात मिलती है, अच्छा वातावरण उसे गुरुकुल जैसे संस्थान उपलब्ध कराते हैं और मेहनत उसे स्वयं करनी होती है तभी वह महानता की ओर अग्रसर होता है।इससे पूर्व अतिथियों द्वारा विज्ञान एवं कला प्रदर्शनी का शुभारम्भ किया गया। विज्ञान प्रदर्शनी में विभिन्न कक्षा के छात्रों ने भौतिकी, रसायन और जीव विज्ञान के साथ-साथ दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले अनेक माडल्स प्रस्तुत किये। वहीं कला प्रदर्शनी में छात्रों ने अनेक सुन्दर पैंटिंग्स प्रदर्शित की। अंत में गुरुकुल प्रबंधन समिति द्वारा मुख्य अतिथि देशबन्धु आर्य एवं डॉ. राजेन्द्रq विद्यालंकार को ओ३म् का स्मृति-चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।