शिमला/नाहनः हिमाचल प्रदेश की शिमला संसदीय सीट पर भाजपा ने जीत का चौका लगा दिया है. कभी कांग्रेस का पारंपरिक गढ़ रही इस सीट पर पार्टी वापसी नहीं कर पाई. बड़ी बात ये है कि कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी को अपने विधानसभा क्षेत्र कसौली से भी लीड नहीं मिल पाई. वहीं, दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरी बार नैया पार लगा गए हैं|
हालांकि इस बार सुरेश कश्यप की जीत का मार्जिन काफी घट चुका है. 2019 के लोकसभा चुनाव में कश्यप की जीत का मार्जिन 3.27 लाख था, जबकि इस बार वह 90,000 से अधिक वोटों से लगातार दूसरी बार विजयी हुए. सिरमौर के पच्छाद से संबंध रखने वाले सुरेश कश्यप को जिले की पांचों विधानसभा क्षेत्र से बढ़त मिली|
नाहन से कश्यप को 7941, पांवटा साहिब से 15313, शिलाई से 2317, पच्छाद से 452 और श्री रेणुकाजी विधानसभा क्षेत्र से 4485 मतों की लीड मिली. सिरमौर से उन्हें कुल 30,508 मतों से लीड लेकर आगे रहे| सोलन के पांचों विधानसभा क्षेत्रों से भी सुरेश कश्यप को सबसे ज्यादा लीड मिली है|
इस बार कांग्रेस के पास इस सीट को जीतने का सुनहरा मौका था, लेकिन सरकार के मंत्रियों समेत 21 ओहदेदार भी अपने प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी की लाज नहीं बचा पाए. इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस सरकार के पांच मंत्री, एक विधानसभा उपाध्यक्ष, तीन सीपीएस, छह निगम और बोर्डों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, पांच निदेशक और एक मीडिया सलाहकार (कैबिनेट रैंक) इस सीट पर प्रत्याशी की जीत का रास्ता प्रशस्त नहीं कर सके|
कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी स्वयं विनोद सुल्तानपुरी की जनसभा का संबोधित करने नाहन पहुंचे थे. इसके बावजूद कांग्रेस इस सीट को हार गई. इस संसदीय क्षेत्र के कुल 17 विधानसभा क्षेत्रों में से 13 विधायक कांग्रेस के हैं. प्रदेश में सरकार कांग्रेस पार्टी की है. इन सबके बाद भी कांग्रेस सीट को नहीं बचा सकी|
कुल मिलाकर जनता से दूरी बनाए रखने का खामियाजा कांग्रेस प्रत्याशी को भुगतना पड़ा है तो वहीं भाजपा प्रत्याशी की जीत का मार्जिन घटने की वजह भी यही मानी जा रही है|