Thursday, November 21, 2024
Google search engine
HomeJ&Kश्रावण मास में रुद्राभिषेक करने से शक्ति के साथ शिव कल्याणकारी स्वरूप...

श्रावण मास में रुद्राभिषेक करने से शक्ति के साथ शिव कल्याणकारी स्वरूप में प्रकट होते है – डॉ. अभिषेक कुमार उपाध्याय

जम्मू,नवीनपाल:- जम्मू कश्मीर की पावन पवित्र भूमि कठुआ जनपद के अति प्राचीन श्रीरघुनाथ जी मन्दिर परिसर में स्थापित श्री नर्मेश्वर महादेव के मन्दिर में श्रावण मास के पुण्य अवसर पर प्रतिदिन प्रातः काल 7 बजे से श्रीरघुनाथ जी की कृपा से वर्तमान में मन्दिर की व्यवस्था देख रहे विश्व हिन्दू परिषद के अधिकारी द्वारा भारतीय सनातन संस्कृति एवं धर्म से समाज को जोड़ने की दृष्टि से ऐसा पूरे सावन मास में रुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर श्रावण मास के पहले सोमवार को डी.सी. कठुआ श्री राकेश मन्हास जी ने रुद्राभिषेक कर शिव शक्ति से सर्वविध कल्याण की कामना किया है। अभिषेक सम्पन्न होने के उपरान्त प्रश्नत्ता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे अवसरों का लाभ बार बार नही मिलता जब कई जन्मों के पुण्य एकत्रित होते है तब ऐसे अवसर का सौभाग्य हमें प्राप्त होता है। इस अवसर पर श्रावण मास के विषय में विस्तार से प्रकाश डालते हुए श्री श्री 1008 श्री मौनी बाबा चैरिटेबल ट्रस्ट न्यास के मुख्य न्यासी डॉ. अभिषेक कुमार उपाध्याय ने कहा कि आनादि काल से ही हमारे भारतीय संस्कृति बहुत ही समृद्ध है जहां अथाह ज्ञान परम्परा सम्माहित है और यह धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष की अवधारणा से परिपूर्ण है। भारतीय काल गणना के क्रम में भारतीय ज्योतिष शास्त्र की बात करे तो यह अखिल ब्रह्मांड का ज्ञान रखने वाला शास्त्र है जिसमें चराचर जगत में होने वाली सभी घटनाओं का ज्ञान हजारों वर्ष पहले से ही सम्माहित है। सनातन धर्म में पञ्चांग पर आधारित जीवन शैली आज भी समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए उपयोगी एवं मानने योग्य है। पञ्चांग में तिथि, वार, नक्षत्र, करण, योग के साथ ही दिन एवं मास भी बहुत उपयोगी अंग है। एक वर्ष में 12 मास होते है और प्रत्येक मास का अपना विशेष महत्व होता है वैसे ही भगवान शंकर से जुड़े होने के कारण श्रावण मास का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा यानि गुरु पूर्णिमा के पूर्व हरिशयनी एकादशी को चार माह के लिए श्रृष्टि की व्यवस्था का दायित्व भगवान भोले शंकर को सौप कर भगवान विष्णु विश्रांति में लीन हो जाते है और उसके तुरंत बाद ही श्रावण मास प्रारम्भ हो जाता है। ऐसे तो श्रावण मास का आध्यात्मिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत महत्व है।आध्यात्मिक स्वतंत्रता का संदेश वाहक है श्रावण मास, यह भूत भावन भगवान शिव को बहुत प्रिय है क्योंकि इसी अवसर पर प्रकृति अपने संपूर्ण रस और रंगों के साथ अठखेलियां करती है। सावन एक अवसर देता है कि हम अपने अंदर काम कर रही प्रकृति की शक्तियों को समझकर कर भक्ति भाव से जगत नियंता की शक्ति से जुड़ जाए। हम हंसते खेलते, खाते पीते, पढ़ते लिखते शारीरिक एवं मानसिक रूप से विकसित होते हैं। तो हमें यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि हम प्राकृतिक शक्तियों के अधीन हैं। वह हमें बाध्य करती हैं। लेकिन जब हम आध्यात्मिक रूप से जाग जाते हैं तभी शिव शक्ति से मिलन होती है। लेकिन इस मिलन के बाद हमे नियंत्रण और ऊर्जा की जरूरत होती है। जो इस अवसर पर किए गए तप, ध्यान और चिंतन से ही प्राप्त होता है। सावन मास ही इसके लिए सबसे अनुकूल है। माता पार्वती ने तप और ध्यान से शिव को पाया, इसलिए मनुष्य भी दिव्य प्रकृति और उसके परम सत्य को जानने का अधिकारी है। सावन हमें उस परम सत्य को जानने के लिए आध्यात्मिक स्वतंत्रता का संदेश भी देता है। अब हम इस विषय पर गंभीरता से विचार करे तो बहुत से प्रश्न मानव मन में उत्पन्न होता है। सामान्य रूप से ध्यान करे तो भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक आदि आदि द्रव्य पदार्थों को ही समर्पित करने की परम्परा का विधान हमें देखने को मिलता है। आखिरकार सावन में अभिषेक की परंपरा कैसे आरम्भ हुई होगी हमारे शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि श्रावण मास में ही समुद्र मंथन से 14 रत्न प्राप्त हुए थे, जिसमें एक था हलाहल विष। इस विष को देवताओं के निवेदन पर शिवजी ने अपने गले में स्थापित कर लिया था, जिससे उनका नाम नीलकंठ पड़ा। विष की जलन रोकने के लिए सभी देवताओं ने उन पर गंगा जल डाला तभी से यह परम्परा आज तक अनवरत चली आ रही है। ऐसे तो सावन भगवान शिव एवं शक्ति की महिमा से भरा है। महादेव की तरह सावन भी गर्मी से तपती धरती को वर्षा की पवित्र जल से तृप्त करता है। जीव-जंतु और प्रकृति का यह सृजन का काल है। यदि हम इस अवसर का आनन्द लेना चाहते है तो अपने अंदर से ईष्या, द्वेष, भय, क्रोध और अहंकार को कम करके नियंत्रित करना होगा एवं साथ ही अपने हृदय को निर्मल और पवित्र बनाना होगा। जब हमारे आचरण में सरलता, आनंद, पवित्रता और प्रेम का गुण होगा, तभी हम प्रकृति स्वरूप में स्थित शिव शक्ति का दर्शन कर पाएंगे।

ऐसे तो आशा और जीवन का प्रतीक है के रूप में सावन माह का महत्व और भी बढ़ जाता है। सावन रस का माह है। रसीले फलों के साथ बारिश की फुहार तन-मन को संतुष्ट करती है। यह यदि हृदय तक नहीं पहुंच पा रही है, तो इसका तात्पर्य है कि हम शिव तत्व से दूर हैं। ऐसे में इस महीने को यूं ही नहीं जाने देना चाहिए। इस अवसर पर नित्य भगवान की पूजा पाठ एवं अर्चन करके स्वयं अंतर्मन में परिवर्तन करना चाहिए। परिवर्तन प्रकृति की विशेषता है और इस परिवर्तन में ही शिव और शक्ति की कृपा प्राप्त होती है। सावन में जिए यदि सावन भीतर सम्माहित हो जाए और इसके हरियाली को जब हम स्पर्श करेंगे, तो जीवन में रस आएगा। प्रकृति सावन में रस का भरपूर बौछार कर रही है। हमें उस रस का स्वाद लेना है।

शिव-शक्ति को समर्पित यह सावन मास सृजन का आधार तत्वों को भरपूर विखेरता है। सृजन के लिए प्रेम और पवित्रता का भाव जरूरी है। सावन का हर दिन व्रत और पर्व को समर्पित है। चूंकि शक्ति से ही शक्तिमान हैं। इस कारण शंकर की पूजा सावन के हर सोमवार और हर मंगलवार को गौरी व्रत का अनुष्ठान होता है। मंगलवार को होने के कारण इसे गौरी मंगला व्रत कहा जाता है। शक्ति के साथ शिव कल्याणकारी हों, इसलिए सावन पूरी तरह से शिव-शक्ति को समर्पित महीना है।
इन्हीं सभी जनोपयोगी विषयों को ध्यान करके मन्दिर की व्यवस्था देख रहे रघुनाथ जी के भक्तों द्वारा प्रतिदिन प्रातः काल में आरती के बाद रुद्राभिषेक का कार्यक्रम किया जा रहा है जिसमें कठुआ जनपद के बहुत से भक्तों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर पुण्य के भागी बन रहे है अभी तक श्री अमित शर्मा सी ई ओ नगर निगम, कठुआ, श्री विक्रम चौधरी जी घाटी से, रविन्द्र सिंह बरनौती से, राजेश गुप्ता सपरिवार एवं नरेश गुप्ता श्रीरघुनाथ जी बाजार से, श्री मनोज कुमार पत्रकार, श्री रमेश भारती जिला मंत्री विश्व हिन्दू परिषद कठुआ सहित श्री मावी कपूर सपरिवार बसोहली से आकर रुद्राभिषेक कर चुके है। मन्दिर के पुजारी श्री अरूण शास्त्री एवं सहयोगी श्री अशोक शास्त्री के साथ श्री पंकज शास्त्री के आचार्यत्व में पूजन अर्चन सम्पन्न हो रहा है। इस अवसर का लाभ कठुआवासी सनातनी सज्जनों को अवश्य लेना चाहिए। आप सभी इस पवित्र पर सादर आमंत्रित है। इससे सम्बन्धित किसी भी जानकारी के लिए मन्दिर में सम्पर्क कर सकते है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!