ऊना,ज्योति स्याल:-दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा ‘श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ’ के छठे दिवस में विदुषी साध्वी सुश्री गौरी भारती जी ने रुक्मणी विवाह के प्रसंग का उल्लेख किया। इस प्रसंग में उन्होनें रुक्मणी रूपी जीवात्मा का अपने प्रभु प्रियतम के प्रति विरह दर्शाया। साथ ही, यह भी प्रकट किया गया कि कैसे इस आत्मा की पुकार पर वह परम आत्मा प्रभु उसे समस्त बंधनों से स्वतंत्र कर अपने कभी न टूटने वाले प्रणय-सूत्रें मे बांध लेते हैं।
कथा का समापन करते हुए विदुषी जी ने कहा कि राजा परीक्षित,भय व असुरक्षा से ग्रस्त हैं, जिसके समक्ष हर क्षण मौत मुँह बाए खड़ी थी। फिर भी परीक्षित की मुक्ति केवल हरि चर्चा या कृष्ण लीलाओं को श्रवण करने मात्र से नहीं हुई थी, अपितु पूर्ण गुरु श्री शुकदेव जी महाराज के द्वारा प्रभु के तत्व रूप को अपने अंदर जान लेने पर हुई थी। शास्त्रनुसार ‘भिद्यते हृदय ग्रंथी सछिद्यन्ते सर्व संशया:’ हृदय ग्रंथि अर्थात् अज्ञानता व सभी संशयों का नाश गुरु द्वारा दिव्य नेत्र प्राप्त होने पर ही होता है। भगवान कृष्ण ने अर्जुन का मोह व मोहजनित संशय नष्ट करने हेतु भी उसे यही कहा था-
‘दिव्यं ददामि ते चक्षु पश्यमेयोगमैश्वरम्’
अर्थात् मैं तुझे दिव्य चक्षु प्रदान करता हूँ। दिव्य चक्षु से परमात्मा के शाश्वत स्वरूप का दर्शन करते ही उसकी समस्त दुर्बलताएँ ऐसे विलीन हो गईं, जिस प्रकार सूर्य के उदित होने पर कुहासा छट जाता है। राजा परीक्षित को भी शुकदेव जी ने ब्रह्मज्ञान प्रदान कर, दिव्य नेत्र जागृत कर उनके लिए मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया था।अंत में, साध्वी जी ने बताया कि आज दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर असंख्य लोगों ने परीक्षित की ही तरह मुक्ति के मार्ग को पाया है। इस प्रकार संस्थान आज विश्व शांति, बंधुत्व व एकता की स्थापना की ओर बढ़ रहा है। संस्थान व आयोजकों की ओर से भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह के आयोजन व उसमें भारी संख्या मे सम्मिलित होने के लिए क्षेत्रवासियों का धन्यवाद करते हुए भागवताचार्या महामनस्विनी साध्वी सुश्री गौरी भारती जी ने कहा कि क्षेत्र निवासियों का यह सहयोग चिरस्मरणीय रहेगा। संस्थान सभी को ब्रह्मज्ञान प्राप्ति हेतु आमंत्रित करता है व भविष्य में ऐसे ही सहयोग की अभिलाषा करता है।
इस कथा की मार्मिकता व रोचकता
से प्रभावित होकर अपार जनसमूह के साथ-साथ शहर के विशिष्ट नागरिक भी इन कथा प्रसंगों को श्रवण करने के लिए पधारे। ‘श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ’ में भाव विभोर करने वाले मधुर संगीत से ओत-प्रोत भजन संकीर्तन को श्रवण कर भक्त श्रद्धालु मंत्र मुग्ध होकर झूमने को मजबूर हो गए। कथा में विशेष रूप मुकेश अग्निहोत्री उपमुख्य मंत्री, राणा रणजीत लीगल सेल, वरिंद्र मनकोटिया,शिमला से अविनाश और वरिंदर सिंह , सुरिंदर शर्मा, और ओंकार नाथ, और जसपाल जसा,अरुण दत्ता, व भारी मात्रा में श्रद्धालुगण शामिल हुए।