ऊना ज्योति स्याल :-कला धरोहर
संगीत नाटक अकादेमी, देश में प्रदर्शन कलाओं के क्षेत्र में सर्वोच्च संस्था है, जो भारत की विविध सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों की विशाल अमूर्त धरोहर के संरक्षण और प्रचार के लिए स्थापित की गई थी। अकादेमी, अपने विभिन्न आयोजनों, गतिविधियों और उत्सवों के माध्यम से, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और जमीनी स्तर पर, देश की संस्कृति को बढ़ावा देने और व्यापक और विविध दर्शकों तक पहुँचाने का लक्ष्य रखती है।
डॉ. संध्या पुरेचा, अध्यक्ष, संगीत नाटक अकादेमी ने कला धरोहर श्रृंखला की शुरुआत करके सराहनीय कदम उठाया है। इस श्रृंखला का उद्देश्य स्कूल के छात्रों में भारतीय प्रदर्शन कलाओं का ज्ञान बढ़ाना और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का समर्थन करना है। इसका लक्ष्य स्कूलों में व्याख्यान-प्रदर्शन, कार्यशालाओं और प्रस्तुतियों जैसी गतिविधियों का आयोजन करके अपने उद्देश्य को प्राप्त करना है।
कला धरोहर श्रृंखला में संगीत नाटक अकादेमी के पुरस्कार विजेताओं, प्रख्यात कलाकारों, गुरुओं और विद्वानों को आमंत्रित कर छात्रों को विभिन्न प्रदर्शन कला रूपों के कलाकारों से सीधे सीखने के महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किए गए हैं। इन संवादात्मक सत्रों का उद्देश्य न केवल छात्रों की भारतीय संस्कृति की समझ को गहन बनाना है, बल्कि उन्हें हमारे देश की समृद्ध धरोहर को खोजने और सराहने के लिए प्रेरित करना भी है।
कुल मिलाकर, भारतीय प्रदर्शन कलाओं के ज्ञान को फैलाने और युवा प्रतिभाओं को संवारने में ‘कला धरोहर’ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह एक प्रशंसनीय पहल है जो न केवल छात्रों को लाभान्वित करेगी बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और प्रचार में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी।
जैसा कि आप जानते हैं, भारत सरकार संत मीरा बाई की 525वीं जयंती मना रही है। इसी संदर्भ में, अकादेमी पूरे भारत में संत मीरा पर केंद्रित “कला धरोहर” शृंखला का आयोजन कर रही है।
“कला धरोहर” असम, सिक्किम, झारखंड, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर, त्रिपुरा, ओडिशा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सहित विभिन्न राज्यों के सरकारी स्कूलों में सफलतापूर्वक आयोजित किया जा चुकी है।
भारत के विभिन्न् प्रान्तों मे जैसे कि हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, दमन, में कला धरोहर का आयोजन इस् सप्ताह किया जा रहा है।
हिमाचल प्रदेश् के ऊना जिले के पेखुबेला स्थित्त जवाहर नवोदय् विद्यालय को कला धरोहर के लिए चुना गया है। यहां दो दिवसीय कार्यशाला में दिल्ली से आये डा, अविनाश कुमार ने छात्रों को मीरा भजन की बुनियादी शिक्षा दी और दो दिवसीय कार्यशाला के अंत में 24 अगस्त की शाम एक छोटी-सी प्रस्तुति भी दी जिसमे विद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ डा. अविनाश कुमार ने मीरा भजन की मनमोहक प्रस्तुति दी।