Friday, November 22, 2024
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संस्कृत के बिना सनातन संस्कृति का ज्ञान अधूरा है

कठुआ,कुरूक्षात्र्य ,आसवनी वालिया :-

संस्कृत के बिना सनातन संस्कृति का ज्ञान अधूरा है – श्री मंगत राम शर्मा (सी.ई.ओ.)संस्कृत में स्वयं को जानने का मूल मंत्र समाहित है।
अथवा संस्कृत की उत्थान के लिए दैनिक जीवन में उसका नियमित व्यवहार आवश्यक है – डॉ. अभिषेक कुमार उपाध्याय।सनातन संस्कृति की पहचान है संस्कृत- श्री मंगल सिंह।

कठुआ – आज समस्त विश्व विश्व संस्कृत दिवस एवं संस्कृत सप्ताह महोत्सव को मना रहा है। उसी क्रम में विश्व संस्कृत दिवस एवं संस्कृत सप्ताह महोत्सव को जम्मू कश्मीर प्रान्त के कठुआ जनपद में कठुआ जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग कठुआ एवं श्री श्री 1008 श्री मौनी बाबा चैरिटेबल ट्रस्ट न्यास के संयुक्त तत्वावधान में मनाया जा रहा है। सप्ताह भर चलने वाले इस कार्यक्रम की सम्पूर्ति को राजकीय कन्या उच्चतर विद्यालय कठुआ में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम के सम्पूर्ति समारोह में मुख्यातिथि के रूप में पधारे मुख्य शिक्षा अधिकारी (सी.ई.ओ) कठुआ, श्री मंगत राम शर्मा ने कहा कि संस्कृत के बिना सनातन संस्कृति का ज्ञान अधूरा है। जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग कठुआ एवं श्री श्री 1008 श्री मौनी बाबा चैरिटेबल ट्रस्ट न्यास के संयुक्त तत्वावधान में कठुआ मण्डल के सभी बारहों उप मंडलों में भी संस्कृत सप्ताह को मनाया गया। सौभाग्य वस इसके उद्घाटन एवं समापन समारोह में हमे भी उपस्थित रहने का अवसर मिला। इस कार्यक्रम को कम समय में सभी विद्यालयों में संस्कृत से सम्बन्धित प्रस्तुतियां देखने को मिली। इन सभी बातों पर जब गहनता से विचार विमर्श करने पर ऐसा लगा कि यदि इस कार्यक्रम में कुछ समय और दिया जाता तो बहुत ही वृहद स्तर पर हो सकता था लेकिन इस कमी को अगले वर्ष हम विशेष रूप से ध्यान देकर संस्कृत के विशिष्ट विद्वानों की सहमति से करने का प्रयास करेंगे। आज यहां पर छात्राओं ने बहुत ही सुन्दर ढंग से अपनी प्रस्तुतियां दी और संस्कृत विषय के ज्ञान की गहराई को बताया है। हमारे मण्डल के जिन विद्यालयों बच्चे संस्कृत पढ़ रहे है वे नियमित रूप से इसका अभ्यास करे इसमें लिखे मंत्र एवं ध्यान विधि से अपनी नियमित दिनचर्या अभ्यास करे। दैनिक जीवन में होने वाले मानसिक तनाव आदि से मुक्ति मिलेगी। मानव जीवन की बहुत सी समस्या का समाधान इसमें समाहित है।

अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए डायट बसोहली के विभागाध्यक्ष डॉ. रमन शास्त्री ने कहा कि संस्कृत के ज्ञान होने पर हम बेरोजगार नही रह सकते है। इससे अपनी दैनिक जीवन की आवश्यकता को पूरा करने में कोई कठिनाई नहीं होगी।

मुख्य वक्ता के रूप में पधारे श्री श्री 1008 श्री मौनी बाबा चैरिटेबल ट्रस्ट न्यास के मुख्य न्यासी एवं जम्मू कश्मीर प्रान्त के मन्दिर एवं गुरुकुल योजना सेवा प्रमुख डॉ. अभिषेक कुमार उपाध्याय ने बताया कि संस्कृत की उत्थान के लिए दैनिक जीवन में उसका व्यवहार अति आवश्यक है। विश्व संस्कृत दिवस के साथ संस्कृत सप्ताह महोत्सव को मनाने का भी यही उद्देश्य है। आज हम सभी अपनी सनातन संस्कृति, संस्कार एवं संस्कृत से दूर होकर अवसाद ग्रस्त हो रहे है। भौतिकवादी जीवन में बहुत कुछ परिवर्तन हुआ लेकिन मानसिक तनाव बढ़ता गया। इसके लिए हमें सनातन संस्कृति की मूलाधार संस्कृत के ज्ञान निधि की अति आवश्यकता है जिससे हम मंत्र जाप, ध्यान एवं योग अभ्यास करके स्वयं को बचा सकते है। संस्कृत में स्वयं को जानने का मूल मंत्र समाहित है और स्वयं को जाने बिना हमारा मनुष्य जीवन पशुवत ही है।


वर्तमान भारत सरकार एवं संस्कृत के विशिष्ट विद्वानों द्वारा विश्व पटल पर संस्कृत दिवस को मनाने के लिए बहुत सराहनीय प्रयास किया जा रहा है। उसी क्रम में जम्मू कश्मीर में भी एक सार्थक प्रयास जम्मू कश्मीर के माननीय उप राज्यपाल महोदय श्रीमान मनोज सिन्हा जी की प्रेरणा, कठुआ जनपद जिला प्रशासन एवं उपायुक्त (डी.सी.कठुआ) डॉ. राकेश मन्हास जी के मार्गदर्शन एवं कठुआ शिक्षा विभाग के मुख्य शिक्षा अधिकारी श्री मंगत राम शर्मा के जी विशेष प्रयास से कठुआ मण्डल स्तर पर विश्व संस्कृत दिवस एवं संस्कृत सप्ताह महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। संस्कृत सप्ताह के अंर्तगत विभिन्न विद्यालयों में कार्यक्रम करके पहले विद्यार्थी एवं अध्यापकों को जागरूक करने का सार्थक प्रयास किया जा रहा है। जम्मू कश्मीर तो प्राचीन काल से ही संस्कृत का मूल केंद्र के रूप में विश्व विख्यात है। इस धरती पर अनेक संस्कृत साहित्य, दर्शन, व्याकरण नाट्य शास्त्र के प्रबुद्ध विद्वान एवं ज्ञान परम्परा को पोषित करने वाले महापुरुषों अवतरित हुए है जिन्होंने अपने ज्ञान की गहराई से समाज को सींचा है। नाट्य शास्त्र के जनक श्री भरत मुनि, संस्कृत व्याकरण के आचार्य पाणनी, संस्कृत साहित्य, दर्शन के साथ शैव शाक्त की आध्यात्मिक एवं साधना मार्ग से विश्व को परिचित करवाने वाले आचार्य अभिनव गुप्त एवं महर्षि कश्यप जिनके सत प्रयास से जम्मू कश्मीर आज अस्तित्व में है ये महान महामानव इसी पावन पवित्र भूमि की देन है। अन्त में सभी का ध्यान आकृष्ट करवाते हुए कहा कि आज तकनीकी युग में केवल भौतिक उन्नति से मानव का सर्वांगीण विकास सम्भव नहीं उसके लिए आध्यात्मिक आधार आवश्यक है और वह संस्कृत में निहित है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विद्यालय के प्राचार्य श्री मंगल सिंह ने कहा कि हमारे विद्यालय में संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत जो समापन कार्यक्रम हुआ है इससे हमारे विद्यालय के अध्यापकों एवं विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन हुआ है यह सौभाग्य का विषय है हमारे लिए। सनातन संस्कृति की पहचान है संस्कृत। इसके साथ चलकर हमारी स्थिति भी लम्बे अरसे तक बनी रहेगी।
इस अवसर पर राजकीय कन्या उच्चतर विद्यालय कठुआ के बालिका चेतना ने सरस्वती वन्दना किया, स्वागत गीत बंधु एवं उनके साथियों ने किया।
संस्कृत भाषा का महत्व पर कशिश ने प्रकाश डाला। शालिनी ने नीति के श्लोकों का पाठ किया।
रोशनी ने नृत्य प्रस्तुत एवं दीक्षा ने भजन द्वारा सभागार में समा बाध दिया। इस अवसर पर मोहनी, कुमकुम, निशा और अंजली ने संस्कृत में पेंटिंग प्रदर्शनी लगाई।राजकीय उच्चतर विद्यालय हीरानगर की छात्रा नैशी राजपूत ने संस्कृत गीत से सभी का मन मोहा। इस अवसर पर डॉ. पुरुषोत्तम शर्मा ने वैदिक मंत्रोच्चारण एवं अपने कुशल संचालन से कार्यक्रम का आरम्भ किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से नीरज शर्मा उप प्रधानाचार्य, संतोष शर्मा, पूनम शर्मा, स्प्रेंशर राजपूत, सारिका शर्मा सहित विद्यालय के सभी अध्यापक एवं 100 से अधिक संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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