बांग्लादेश:-2009 से लगातार बांग्लादेश के पीएम पद पर काबिज 76 साल की शेख हसीना को सोमवार को आनन-फानन में पद छोडक़र देश से भागना पड़ा। जून 1996 से जुलाई 2001 तक हसीना पहली बार बांग्लादेश की पीएम रही थीं। इसके बाद वह 2009 में लौटी और अभी तक देश की पीएम थीं। हसीना बांग्लादेश ही नहीं दक्षिण एशिया के बड़े राजनेताओं में शुमार शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी हैं। मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति थे। शेख हसीना वाजेद बांग्लादेश की 20 साल तक पीएम रही हैं। वह बांग्लादेश के इतिहास में सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली प्रधानमंत्री हैं। देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी किसी महिला ने इतने समय तक शासन नहीं किया है। हसीना के नाम पर दुनिया में सबसे लंबे समय तक किसी सरकार की हेड रहने का कीर्तिमान है।
पिता की मौत के बाद राजनीति में एंट्री अवामी लीग पार्टी की नेता शेख हसीना का जन्म 28 सितंबर, 1947 को पूर्वी बंगाल के तुंगीपारा में बंगाली राष्ट्रवादी नेता शेख मुजीबुर रहमान के घर हुआ था। जो आगे चलकर बांग्लादेश की आजादी के नायक बने। तुंगीपारा में प्राथमिक शिक्षा के बाद उन्होंने ढाका के ईडन कॉलेज से पढ़ाई की। 1966 और 1967 के बीच वह ईडन कॉलेज में छात्र संघ की उपाध्यक्ष भी। हसीना ने ढाका विश्वविद्यालय में बंगाली साहित्य की पढ़ाई और 1973 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। शेख हसीना ने एमए वाजेद से 1967 में शादी की थी। उनका 2009 में निधन हो गया था। शेख हसीना की राजनीति में एंट्री उनके पिता शेख मुजीब की 1975 में हत्या के बाद हुई। पिता की हत्या के कुछ साल बाद बांग्लादेश लौटीं हसीना ने साल 1981 अवामी लीग की कमान संभाली और साल 1991 में बांग्लादेश की संसद में नेता विपक्ष बनी।
साल 1996 में हुए चुनाव में उनकी पार्टी को जीत मिली और वह बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं। अगला चुनाव यानी 2001 में वह हार गईं। इसके बाद उनकी सत्ता में वापसी 2009 में हुई। इसके बाद वह यानी लगातार चार बार (2009, 2014, 2018, 2024) पीएम चुनी गईं। 4.36 करोड़ टका की हैं मालकिन इस साल की शुरुआत में हुए आम चुनाव के लिए शेख हसीना ने चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया है। चुनाव आयोग को सौंपे गए हलफनामे के अनुसार शेख हसीना की कुल संपत्ति 4.36 करोड़ बांग्लादेशी टका (3.14 करोड़ भारतीय रुपए) है। हलफनामे में उन्होंने बताया था कि उनकी आय का महत्त्वपूर्ण हिस्सा कृषि से आता है। शेख मुजीब की भी हुई थी हत्या शेख मुजीब की मूर्ति पर हथोड़ा चलाया जाना दुनिया को हैरत में डाल रहा है क्योंकि वह बांग्लादेश के संस्थापक नेता और अगुआ थे।
उन्हें बंगलादेश का जनक कहा जाता है क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ सशस्त्र संग्राम की अगुवाई करते हुए बांग्लादेश को आजादी दिलाई। वे देश में शेख मुजीब के नाम से भी प्रसिद्ध हुए और उनको बंगबन्धु की पदवी से सम्मानित किया गया। बांग्लादेश बनने के तीन वर्ष बाद ही 15 अगस्त 1975 को सैनिक तख्तापलट के दौरान शेख मुजीब की हत्या कर दी गई। बांग्ला भाषा में ढाका यूनिवर्सिटी से डिग्री शेख हसीना ने बांग्ला भाषा और साहित्य में ढाका विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री हासिल की। उनका राजनीतिक सफर उनके छात्र जीवन में ही शुरू हो गया था। छात्र जीवन में ही वह स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हो गई थीं। बाद में उन्होंने बांग्लादेश की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी, अवामी लीग की स्थापना की। शेख हसीना ने अपने गांव तुंगीपारा में प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। जब उनका परिवार ढाका चला गया, तो उन्होंने अजीमपुर गल्र्ज स्कूल और बेगम बदरुन्नसा गल्र्ज कॉलेज में भी शिक्षा प्राप्त की। शेख हसीना ने ईडन कॉलेज में ग्रेजुएशन की डिग्री के लिए दाखिला लिया। 1966 और 1967 के बीच वह ईडन कॉलेज में छात्र संघ की उपाध्यक्ष चुनी गईं। हसीना ने ढाका विश्वविद्यालय में बंगाली साहित्य का अध्ययन किया, जहां से उन्होंने 1973 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। बांग्लादेश के राष्ट्रपिता की मूर्ति पर चला हथौड़ा संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की प्रतिमा पर चढ़े उपद्रवियों ने की तोड़-फोड़देश की आजादी को लड़ी थी लंबी लड़ाई शेख हसीना के विरोध में सडक़ पर उतरे प्रदर्शनकारियों ने राजधानी ढाका में जमकर उत्पाद मचाया है। शेख हसीना के पीएम पद से इस्तीफे और देश छोडऩे के बाद लोग पीएम हाउस में घुस गए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के बनने में अहम रोल निभाने वाले शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति को भी नहीं छोड़ा। प्रदर्शनकारी ढाका में बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति तोड़ते पर चढक़र तोडफ़ोड़ करते दिखे। बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति पर चढक़र हथौड़े चलाते शख्स की तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी देखी जा रही हैं। शेख मुजीब ने बांग्लादेश की आजादी के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी, लेकिन उपद्रवियों ने उनकी मूर्ति को भी नहीं छोड़ा। शेख हसीना के पिता मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश बनने के बाद देश के पहले राष्ट्रपति बने थे। वह 1971 से लेकर अगस्त 1975 तक देश के प्रधानमंत्री भी रहे। प्रधानमंत्री रहते हुए ही उनकी हत्या कर दी गई थी। वे पांच वजहें जो बांग्लादेश में शेख हसीना पर पड़ी भारी…
असहमति जाहिर करने वालों का दमन हसीना के प्रशासन में विपक्षी आवाज़ों और असहमति को व्यवस्थित रूप से दबाने का आरोप लगता रहा है। सत्ता में उनके लंबे शासनकाल में विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर दमन और असहमति के दमन की घटनाएं सामने आईं। उन्होंने विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के साथ-साथ विरोध प्रदर्शनों को भी दबाने में कहीं कोई कसर नहीं छोड़ी। हाल के विरोध प्रदर्शनों में भी उनकी सरकार की प्रतिक्रिया विशेष रूप से हिंसक रही है, जिसमें प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अत्यधिक बल प्रयोग की खबरें आईं, बड़े पैमाने पर लोग हताहत हुए हैं। लोकतांत्रिक मानदंडों को खत्म कर दिया
आलोचकों का तर्क है कि हसीना की सरकार ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संस्थाओं को कमजोर कर दिया। उनके कार्यकाल के दौरान चुनाव धांधली और हिंसा के आरोपों से घिरे रहे हैं। सरकारी एजेंसियां उनके इशारों पर साजिश रचकर विपक्षी नेताओं को जेल में डालती रहीं या उन पर मुकदमों का अंबार लगा दिया। कुल मिलाकर पुलिस से लेकर अन्य सरकारी एजेंसियों ने विपक्षी नेताओं को फंसाने का काम ज्यादा किया. निष्पक्षता पर चिंताओं के कारण प्रमुख विपक्षी दलों ने इस बार भी चुनावों का बहिष्कार कर दिया. इसने देश में अजीब सी स्थिति पैदा कर दी. गुस्सा अंदर ही अंदर बहुत दिनों से पल रहा था। मानवाधिकार उल्लंघन
हसीना की सरकार के तहत मानवाधिकारों के उल्लंघन की कई रिपोर्टेंआई हैं, जिनमें लोगों को जबरन गायब करना और न्याय से परे जाकर हत्याएं शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इन दुव्र्यवहारों का दस्तावेजीकरण किया है, जिसके परिणामस्वरूप पश्चिमी देशों ने इन उल्लंघनों से जुड़े कुछ सुरक्षा बलों के खिलाफ प्रतिबंध भी लगाए। नौकरियों में आरक्षण
हाल में शेख हसीना सरकार ने नौकरियों में उन लोगों को कोटा दे दिया था, जिनके परिवारवालों ने 1971 में देश की आजादी की लड़ाई लड़ी थी। इसके खिलाफ छात्रों का गुस्सा भडक़ गया। जगह-जगह प्रदर्शन होने लगा। छात्रों का यह विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल गया। हिंसा हुई, हालांकि बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने इस कोटे को खत्म कर दिया, लेकिन तब तक सारा देश धधक चुका था। विपक्ष ने भी इस आंदोलन को और हवा दे दी। नतीजतन बांग्लादेश में गुस्सा और बढ़ गया। पिछले तीन दिनों से ऐसा लग रहा था कि बांग्लादेश में सरकार नाम की चीज ही नहीं है। व्यापक हिंसा, आगजनी और अफरा-तफरी का आलम था। मीडिया सेंसरशिप
हसीना प्रशासन को प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है। सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों और मीडिया आउटलेट्स को अक्सर उत्पीडऩ, कानूनी कार्रवाई या शटडाउन का सामना करना पड़ा। इससे देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। कई लोगों को सरकारी गतिविधियों पर रिपोर्टिंग करने पर प्रतिकूल प्रभाव पडऩे का डर सताने लगा। बगावत का असर, भारतीय रेलवे ने कैंसिल की ट्रेनें
नई दिल्ली । भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में बढ़ती अशांति के बीच भारतीय रेलवे ने सोमवार को बांग्लादेश से आने-जाने वाली सभी ट्रेनें रद्द कर दीं। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देने और उनके देश छोडऩे के बाद ट्रेन रद्द होने की पुष्टि हुई। हालांकि, इन ट्रेनों को केवल मंगलवार तक रद्द करने की घोषणा की गई थी। रेल मंत्रालय द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, ट्रेन संख्या 13109/13110 (कोलकाता-ढाका-कोलकाता मैत्री एक्सप्रेस), 13107/13108 (कोलकाता-ढाका-कोलकाता चितपुर रेलवे स्टेशन, मैत्री एक्सप्रेस) और 13129/13130 (कोलकाता-खुलना-) कोलकाता, बंधन एक्सप्रेस) को 6 अगस्त तक रद्द कर दिया गया है। रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि ट्रेन संख्या 13131/13132, ढाका-न्यू जलपाईगुड़ी-ढाका, मिताली एक्सप्रेस भी 21 जुलाई से रद्द कर दी गई है। पीएम आवास में घुसे प्रदर्शनकारी जश्न मनाया, सोफा-कुर्सी लूट भागे
बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने पद से इस्तीफा देते हुए देश छोड़ दिया है।
हसीना के राजधानी ढाका छोडऩे की सूचना के साथ उनके इस्तीफे की मांग कर रहे लोग पीएम हाउस में घुस गए हैं। बांग्लादेश के पीएम के निवास गोनो भवन के दरवाजे खोलते हुए लोग अंदर घुसे और यहां जश्न मनाया। द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने आज दोपहर करीब तीन बजे गोनो भवन के दरवाजे खोल दिए और लोग प्रधानमंत्री आवास के परिसर में प्रवेश कर गए। इससे पहले हसीना अपनी बहन के साथ यहां से जा चुकी थीं। बताया गया है कि वह जाने से पहले एक वीडियो रिकॉर्ड करना चाहती थीं लेकिन उनको इसकी इजाजत नहीं दी गई। ढाका में पीएम हाउस का दरवाजा खोलते और अंदर घुसते लोगों का वीडियो भी सामने आया है। इसमें हजारों लोगों को बेखौफ पीएम हाउस में हुडदंग करते देखा जा सकता है। सुरक्षाकर्मी या पुलिस का कोई कर्मचारी वहां नहीं दिख रहा है। इससे साफ है कि सेना ने प्रदर्शनकारियों को खुली छूट दे रखी है। यहां तक कि लोग पीएम हाउस से बहुत से सामान भी उठाकर ले जा रहे हैं। सामने आए फुटेज में प्रदर्शनकारियों को राजधानी ढाका में प्रधान मंत्री के आधिकारिक आवास से कुर्सियां और सोफा जैसा सामान ले जाते हुए देखा गया है। ढाका में बंग्लादेश को बनाने वाले शेख मुजीब की मूर्ति भी तोड़ दी गई है।
चार सूटकेस, दो बैग में जिंदगी भर की कमाई बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने उनकी सरकार के खिलाफ देशभर में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के चलते प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद भारत पहुंच गई हैं। शेख हसीना के देश छोडऩे का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दिखाई दे रहा है कि शेख हसीना अपनी जिंदगी भर की कमाई चार सूटकेस और दो बैग में भरकर बांग्लादेश छोडक़र निकली हैं। वह एक हेलिकॉप्टर में बैठकर देश छोडक़र निकली हैं। वहीं प्रधानमंत्री हसीना के आधिकारिक आवास में प्रदर्शनकारियों ने घुसकर लूटपाट मच दी है। बता दें कि सरकार विरोधी प्रदर्शनों में रविवार से लेकर अब तक 106 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। निजी टेलीविजन समाचार चैनल ने बताया कि हसीना को एक विवादित आरक्षण व्यवस्था को लेकर उनकी सरकार के खिलाफ व्यापक प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए विवश होना पड़ा है। इस विवादास्पद आरक्षण प्रणाली के तहत 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लोगों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है।