विनोद शर्मा लठियानी:-सिद्ध बाबा गरीब नाथ औघड अंदरौली। जनश्रुतियों के अनुसार, जब ऋषि व्यास के पुत्र शुकदेव का जन्म हुआ, तो उसी समय 84 सिद्धों ने भी विभिन्न स्थानों पर जन्म लिया। इनमें से एक सिद्ध बाबा गरीब नाथ जी भी हैं, जो दत्तात्रेय के शिष्य थे। सिद्धबाबा गरीब नाथ जी विभिन्न राज्यों में विभिन्न नामों से जाने जाते हैं। सिद्ध बाबा गरीब नाथ जी ने यहां 40 वर्षों तक तपस्या की थी इसके इस स्थान को बाबा गरीब नाथ जी की तपोस्थली कहा जाता है।मान्यता के अनुसार, 500 वर्ष पूर्व यहां के स्थानीय निवासियों को झडि़यों में एक ज्योति जलती दिखी, जब लोगों ने यहां आकर देखा तो अमरताश पेड़ के नीचे सिद्ध बाबा गरीब नाथ भक्ति में लीन थे। भक्ति के दौरान उन्होंने लोगों को बताया कि मैं बाबा गरीब नाथ हूं और कहा कि जो यहां भक्ति और तपस्या करेंगे उनकी मनकोकामना पूरी होगी। बता दें कि स्थानीय निवासी बाबा नसीब सिंह जी इस मंदिर के प्रसिद्ध सेवादार थे। साल 1978 में जब वे बीमार हुए थे, उनके बचने की उम्मीद कम थी। बताया जाता है कि बाबा नसीब को अचानक रात को सपना आया और सपने में सिद्ध बाबा गरीब नाथ जी ने उन्हें दर्शन दिए। बाबा ने नसीब सिंह को मंदिर के अखंड धूणे से भभूती ग्रहण करने को कहा।मान्यता है कि नसीब सिंह ने भभूती खाई और वो पूरी तरह स्वस्थ हो गए। इस तरह से सारे इलाके में ये खबर फैल गई, जिससे सिद्ध बाबा गरीब नाथ के प्रति लोगों की आस्था बढ़ गई। बरसात में इस मंदिर के चारों ओर गोविंदसागर झील का पानी बढ़ने से मंदिर का ज्यादातर हिस्सा पानी में डूब जाता है, जिसे देखने का अपना ही सुंदर नजारा होता है। मंदिर में लगभग 31 फुट की शिव भगवान की प्रतिमा है, जो इसकी आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व को बढ़ा देती है। गुग्गा नवमी को यहां लंगर लगता है और कीर्तन होता है । _ पर्यटन स्थल के रूप में अंदरौली _चारों ओर से पहाड़ है
और पहाड़ों के आंचल में नीले पानी की गोविंदसागर झील अंदरौली की खूबसूरती को चार चांद लगाती है। एशियन डेवलेपमेंट बैंक प्रोजेक्ट के तहत 10 करोड़ रुपए की लागत से अंदरौली को “एडवेंचर स्पोर्ट्स टूरिज्म” की दृष्टि से विकसित करने के लिए स्वीकृत किए हैं। यहां आने वाले पर्यटकों के लिए अलग अलग वाटर उपकरण जैसे क्रूज, हाउस बोट, शिकारा,फ्लोटिंग रेस्टोरेंट, स्कूटर और जैटी उपलब्ध होंगे। जिला प्रशासन ने भी अंदरौली में “कुटलैहड़ पर्यटन विकास समिति” के तहत विभिन्न पर्यटन विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। जिससे स्थानीय लोगों की आर्थिकी सुदृढ़ होगी। अंदरोली में 12 महीने जलक्रीड़ा गतिविधियां चलेंगी और इस क्षेत्र को “वीकेंड टूरिज्म” की तर्ज भी विकसित किया जा रहा है। कुटलैहड़ में पर्यटन की आपार संभावनाएं होने के चलते इसे पर्यटन की दृष्टि से बड़े पैमाने पर विकसित किया जा रहा है।कुछ इस प्रकार की व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त हुई है।