शिमला :- शौचालय शुल्क पर नहीं हुआ प्रस्ताव पास, चर्चा में लाया गया था मामला, नगर निगम शिमला ने टायलट शुल्क लगाने के फैसले से मुकर गया है। नगर निगम के मेयर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि टॉयलट शुल्क का कोई प्रस्ताव नगर निगम हाउस में नहीं लगाया गया था। नगर निगम हाउस में कोर्ट के आदेशों के बारे में चर्चा की गई थी, लेकिन नगर निगम हाउस के एजेंडे में 7 नंबर प्रस्ताव यही था कि टॉयलट शुल्क लिया जाएगा।
खैर नगर निगम ने सार्वजनिक शौचालयों में पुरुषों से पांच रुपए यूरिन शुल्क लेने के फैसले को वापस ले लिया है। सार्वजनिक शौचालयों में पुरुषों से यूरिन शुल्क लेने के फैसले पर खासा बवाल मच गया था और नगर निगम की फजीहत हो रही थी, जिसके बाद नगर निगम के मेयर ने शुल्क न लेने की बात कही है।मेयर सुरेंद्र चौहान ने यह भी कहा कि कोर्ट की अगली सुनवाई में हम यह बात भी रखेंगे कि सार्वजनिक शौचालय सभी के लिए नि:शुल्क किया जाए। नगर निगम के मेयर सुरेंद्र चौहान ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि नगर निगम किसी भी तरह का सार्वजनिक शौचालय में शुल्क नहीं वसूला जाएगा।
शहर में सार्वजनिक शौचालय का रखरखाव सुलभ इंटरनेशनल द्वारा किया जाता है और नगर निगम इसके एवज में उन्हें हर माह दो लाख 44 हजार देता है। महिलाओं से नहीं लिया जा रहा कोई यूरिन शुल्क, सुलभ इंटरनेशनल द्वारा हाई कोर्ट में शुल्क को लेकर याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई हो रही है, लेकिन नगर निगम अपनी ओर से यह पक्ष कोर्ट में रखने जा रहा है कि सार्वजनिक शौचालय में किसी से कोई भी शुल्क न लिया जाए। महिलाओं से भी यूरिन का शुल्क नहीं लिया जा रहा है। ऐसे में पुरुषों को भी कोई भी शुल्क नहीं देना पड़ेगा। सार्वजनिक शौचालय से जो भी आय होती है