Friday, November 22, 2024
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श्री कृष्ण कन्हैया जोशी ने राजा परीक्षित व भागवत का प्रसंग सुनाया

दौलतपुर चौक । संजीव डोगरा

डेरा बाबा हरि शाह अंबोआ दरबार में डेरा के गद्दीनशीं बाबा राकेश शाह जी के सानिध्य में चल रही श्रीमद् गौ भागवत कथा के प्रथम दिवस पर अपने मुखारविंद से कथा वाचक श्री कृष्ण कन्हैया जोशी ने राजा परीक्षित व भागवत का प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि यह पुराण सभी प्रकार से कल्याण देने वाला है। उन्होंने कहा कि ज्ञान, भक्ति और वैराग्य का यह महान ग्रंथ है। उन्होंने कहा कि भागवत पुराण में बारह स्कन्द है, जिनमें भगवान विष्णु के अवतारों का ही वर्णन है। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में भागवत कथा का वही महत्व है जो शरीर में आत्मा का होता है। जिस प्रकार आत्मा बिना शरीर निरर्थक है,उसी तरह भक्ति बिना जीवन शून्य है। उन्होंने राजा परीक्षित के सर्पदंश और कलयुग के आगमन की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि राजा परीक्षित बहुत ही धर्मात्मा राजा थे। उनके राज्य में कभी भी प्रजा को किसी भी चीज की कमी नहीं थी। एक बार राजा परीक्षित आखेट के लिए गए, वहां उन्हें कलयुग मिल गया। कलयुग ने उनसे राज्य में आश्रय मांगा, लेकिन उन्होंने देने से इंकार कर दिया। तब कलयुग ने राजा से सोने में रहने के लिए जगह मांगी। जैसे ही राजा ने सोने में रहने की अनुमति दी, वे राजा के स्वर्ण मुकुट में जाकर बैठ गए। राजा के सोने के मुकुट में जैसे ही कलयुग ने स्थान ग्रहण किया, वैसे ही उनकी मति भ्रष्ट हो गई। कलयुग के प्रवेश करते ही धर्म केवल एक ही पैर पर चलने लगा। लोगों ने सत्य बोलना बंद कर दिया, तपस्या और दया करना छोड़ दिया। अब धर्म केवल दान रूपी पैर पर टिका हुआ है। यही कारण है कि आखेट से लौटते समय राजा परीक्षित श्रृंगी ऋषि के आश्रम पहुँच कर पानी की माँग करते हैं। उस समय श्रृंगी ऋषि ध्यान में लीन थे। उन्होंने राजा की बात नहीं सुनी, इतने में राजा को गुस्सा आ गया और उन्होंने ऋषि के गले में मरा हुआ सर्प डाल दिया। जैसे ही उनका ध्यान समाप्त हुआ, उन्होंने राजा परीक्षित को सर्पदंश से मृत्यु का श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि हम सब कलयुग के राजा परीक्षित हैं, हम सभी को कालरूपी सर्प एक दिन डस लेगा, राजा परीक्षित श्राप मिलते ही मरने की तैयारी करने लगते हैं। इस बीच उन्हें व्यासजी मिलते हैं और उनकी मुक्ति के लिए श्रीमद्भागवत कथा सुनाते हैं। व्यास जी उन्हें बताते हैं कि मृत्यु ही इस संसार का एकमात्र सत्य है। श्रीमद् भागवत की कथा में हमें इसी सत्य से अवगत कराया जाता है। कथावाचक ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा को सुनने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते है, इसलिए सभी को इसके लिए समय अवश्य निकालना चाहिए। कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

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