अल्मोड़ा,गोविन्द रावत
पूर्व दर्जा राज्यमंत्री, राज्य आन्दोलनकारी एडवोकेट केवल सती ने प्रेस को दिए गए अपने बयान में कहा कि उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में हाईकोर्ट की ऋषिकेश में बैंच बनाना औचित्य पूर्ण नहीं है । इस तरह का प्रस्ताव लाकर जनमत सर्वेक्षण करवाना कुमाऊं व गढ़वाल के लोगों के बीच परस्पर सम्बन्धों में कटुता पैदा करना है। क्योंकि हाईकोर्ट की ऋषिकेश में नई बैंच बनाने को लेकर जिस तरह से परस्पर विरोधी बयान आ रहे हैं। वह उचित नहीं है। सती ने कहा कि 9 नवम्बर 2000 को जब उत्तराखंड राज्य बना था । उस समय सरकार द्वारा यह तय किया गया था कि उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून यानि गढ़वाल में होगी तथा उत्तराखण्ड का उच्च न्यायालय नैनीताल यानि कुमाऊं में होगा। तब से लगातार उत्तराखंड हाईकोर्ट नैनीताल में चलते आ रहा है। नैनीताल पर्यटक स्थल होने से वादकारियों के लिए वह महंगा शहर हो रहा था इसलिए हाईकोर्ट को वहां से कुमाऊं के अन्दर ही स्थानांतरित करने की बात जरूर चल रही थी चाहे व हल्द्वानी गोलापार हो या रुद्रपुर या रामनगर हो। लेकिन ऋषिकेश में बैंच बनाने की एक नई बात आ गई जो उचित नहीं है। सती ने कहा कि इस सम्बन्ध में प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी इसकी सत्यता पता है।इसलिए उन्हें अपना मत स्पष्ट करना चाहिए, तथा उक्त प्रकरण को समाप्त करवाना चाहिए। जिससे कि इस सम्बन्ध में कोई बयान बाजी न हो।
केवल सती एडवोकेट अल्मोड़ा।