सैंज तहसील में प्रकृति ने सुंदरता बिखरने में चार चांद लगा दिए हैं। घाटी की यही सुंदरता अब स्थानीय लोगों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के साथ-साथ देश-विदेश से आ रहे पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी थी। पर्यटन के क्षेत्र में उभर रही सैंज घाटी के रुपी रैला वाटरफाल को निहारने के लिए देश-विदेश से हर रोज सैकड़ों पर्यटक आ रहे हैं लेकिन वाटरफाल को जोडऩे वाली सडक़ करीब आठ माह पूर्व बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हुई है जिस कारण पर्यटकों को विना वाटरफॉल के दर्शन किए वापस लौटना पड़ रहा है। बीते वर्ष जुलाई माह में आई प्राकृतिक आपदा के कारण रुपी रैला वाटरफाल को जोडने वाली सडक़ को पिन पार्वती नदी ने क्षतिग्रस्त कर सडक़ का नामोनिशान मिटा दिया है।
हैरानी वाली बात यह है कि करीब ग्यारह माह बीत जाने के बावजूद आम जनता के आग्रह पर प्रशासन ने इस ओर कोई भी ध्यान नहीं दिया है। जिसका खामियाजा देश-विदेश से घूमने आ रहे पर्यटकों को भुगतना पड़ रहा है। वता दे कि धाऊगी व देहुरी गांवों की सुंदरता के साथ-साथ सुचैहण की दलोगी झील, शांघड़ का देवता मैदान व थिहणी जोत के अलावा रैला का भाटक, डाएरयलू थाच व शैशर स्थित मनु मंदिर और रूपी रैला वाटरफाल में रोजाना सैलानियों की आमद बढ़ रही है। वहीं, अब बरशांघड़ व रैला झरने के बाद शैशर का जियाह वॉटरफाल भी पर्यटकों के लिए नया डेस्टिनेशन बन गया है । ऐसे में जहां स्थानीय लोगों के लिए स्वरोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं वहीं देश-विदेश से आने बाले पर्यटक भी प्रकृति के सुंदर रूप को देखकर उत्साहित हो रहे है। ऊधर, स्थानीय लोगों ने घाटी के पर्यटक स्थलों को सुगम बनाने के लिए तथा करीव ग्यारह महीने पूर्व बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त पर्यटक स्थलों की सडक़ों को जल्द ठीक करने का आग्रह सरकार से किया है ताकि सैंज घाटी में पर्यटकों को असुविधा का दंश ना झेलना पडे।
रूपी रैला वॉटरफॉल सडक़ को संवारने के लिए एक महीना पूर्व जिलाधीश कुल्लू को ग्राम सभा से प्रस्ताव पारित करके दिया गया है जिलाशीश कुल्लू ने लोक निर्माण विभाग को इसका संयुक्त निरीक्षण करके रिपोर्ट तैयार करने के लिए आदेश दिए थे मगर अभी तक धरातल पर कुछ भी अमल में नहीं आया है।