हिमाचल ब्यूरो-हमीरपुर :-लगातार बढ़ रहे साइबर फ्रॉड के मामलों को देखते हुए भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इन्फोरमेशन सिक्योरिटी एजुकेशन एंड अवेयरनेस फेज-3 (सूचना सुरक्षा शिक्षा और जागरूकता चरण-3) नामक एक महत्त्वाकांक्षी राष्ट्रीय परियोजना की शुरुआत की है। दिलचस्प बात यह है कि इस बड़ी परियोजना के लिए एनआईटी हमीरपुर को मंत्रालय ने एक प्रमुख भागीदार के रूप में चुना है। इस परियोजना को सफलतापूर्वक कार्यान्वित करने के लिए एनआईटी हमीरपुर और मिनिस्ट्री ऑफ इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस महत्त्वकांक्षी परियोजना की प्रारंभिक लागत 332.74 करोड़ रुपए बताई जा रही है। बताते हैं कि इस सहयोग के तहत एनआईटी हमीरपुर को अगले पांच वर्षों में मंत्रालय से न्यूनतम 2.016 करोड़ का अनुदान प्राप्त होगा। एनआईटी में कार्यरत डा. टीपी शर्मा इस परियोजना के मुख्य अन्वेषक (चीफ इंवेस्टिगेटर) होंगे, जबकि डा. नवीन चौहान सह-प्रधान अन्वेषक (को-चीफ इंवेस्टिगेटर) के रूप में कार्य करेंगे।
एनआईटी हमीरपुर को पहली किश्त के रूप में 47.80 लाख प्राप्त हो चुके हैं। परियोजना के चीफ इन्वेस्टिगेटर डा. टीपी शर्मा के अनुसार इस परियोजना का तीसरा चरण प्रस्ताव आधारित था, जिसमें सूचना सुरक्षा के विशिष्ट सब-डोमेन पर प्रस्ताव आमंत्रित किए गए थे। मंत्रालय की ओर से एनआईटी हमीरपुर का ‘मोबाइल डिवाइस सिक्योरिटी’ पर प्रस्तुत प्रस्ताव चुना गया। परियोजना में विभिन्न गतिविधियां शामिल होंगी जैसे कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी शोध, नए अनुसंधान प्रयोगशालाओं की स्थापना, प्रशिक्षण कार्यक्रमों, हैकाथॉन, वेबिनार और विशेषज्ञ व्याख्यानों का आयोजन। परियोजना का मुख्य उद्देश्य मोबाइल डिवाइस सुरक्षा और व्यापक साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।